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Tuesday, December 24, 2024

ए.आई.सी.टी.यू. का अभूतपूर्व संभागीय कार्यकर्ता सम्मेलन सम्पन्न अधिकारों की रक्षा के लिये संघर्षो को व्यापक बनाने का आह्वान

भारत की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (युनाईटेड) के पोलित ब्यूरो व केन्द्रीय कार्यसमिति की बैठक के मौके ए.आई.सी.टी.यू. का सभागीय कार्यकर्ता सम्मेलन गांधी शांति प्रतिष्ठान केन्द्र (गांधी भवन) में सम्पन्न हुआ। खचाखच भरे सभागार में जोधपुर संभाग के जोधपुर पाली, जैतारण, रास, बलाड़ा, खारिया खगार राबड़ियावास, जैसलमेर, बाड़मेर गोटन से आए कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन विधिवत् उद्घाटन झण्डारोहण की रस्म अदायगी के साथ ए.आई.सी.टी.यू. के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य कॉ० विजयकुमार चौधरी ने किया। सम्मेलन को एम.सी.पी. आई.यू. के महासचिव कॉ० कुलदीप सिंह, कॉ० गोपीकिशन, कॉ० विजयकुमार चौधरी, कॉ० रामपाल सैनी, कॉ० बृजकिशोर, नदीम खान, वहीदुदीन रमेशनाथ हबीबुर्रहमान, दयालराम गुर्जर, दिलीप सिंह खारिया, दिलीप सिंह जोधा सहित अनेक वक्ताओं ने संबोधित किया। वक्ताओं ने आमजन तथा विशेषकर श्रमिक वर्ग के समक्ष विद्यमान समस्याओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि श्रमिक वर्ग की परिस्थिति न्यून वेतन, महंगाई भयानक बेरोजगारी, भारतीय मुद्रा के अवमूल्यन आदि से बिगडती ही जा रही है। वैश्विक आर्थिक मंदी बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था में अस्थिरता के रूप में सामने आई है। आसमान छूती मुद्रास्फीती की दर ने आम आदमी के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। आर्थिक एवं राजनीतिक स्तर पर चारों तरफ भयावह स्थिति है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार की विफलता लगभग स्पष्ट हो चुकी है। साम्प्रदायिक शक्तियों को निरंतर बढ़ावा दे सरकार सत्ता में बने रहने का कुप्रयास कर रही है। यही नहीं आमजन की आवाज को येन केन प्रकारेण दबाने का हर प्रयास किया जा रहा है। केन्द्र सरकार एक ऐसे देश की परिकल्पना का कुप्रयास कर रही है. जिसमें सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाला कोई न बचे और वह अपने विध्वंसक एजेण्डे को आगे बढाने में सफल हो आम जनता का धर्म के नाम का ऐसा अफीम दिया जा रहा है, जिससे वह अपनी मौलिक अधिकारों के लिये आवाज न उठा पाये। वक्ताओं ने कहा कि सरकार अत्यधिक विदेशी निवेश पर निर्भर होकर उसके लिये लाल कारपेट बिछाते हुए तथा सार्वजनिक उपक्रमों को चुनिंदा निजी पूंजीपतियों के हाथों बेच उन्हें प्राकृतिक संसाधनों की लूट और मजदूरों पर निर्दयता के सभी रूप आजमाने के लिये खुली आजादी का वायदा कर रही है और जनता के सशक्तिकरण, उनकी बुनियादी मानवीय समस्याओं, गरीबी, बेरोजगारी और भूख से आंखें मूंद रही है। नवउदारवादी नीतियां देश को एक ठहराव की स्थिति में ले आई है। उद्योग, कृषि और यहां तक कि सेवा क्षेत्र भी अपने निचले स्तर की ओर डुबकी ले गया है। वक्ताओं ने कहा कि कि आज फिर युवा पीढ़ी के कांति के रास्ते पर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। मजदूर वर्ग को एक राजनैतिक शक्ति के रूप में खड़ा होना होगा। वक्ताओं ने कहा कि आज श्रमिक वर्ग श्रम कानून के तहत मिलने वाले लाभों से वंचित है कारण कि इन कानूनों का उल्लंघन करने वाले पूंजीपतियों को स्वयं सरकार संरक्षण दे रही

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