रेलमंत्री जी आपके अधिकारियों व इंजीनियर की योग्यता व कार्यशैली गम्भीर सवालो के दायरे में !
सुलगते सवाल
रेलवे के अंडरब्रिज आमजन के लिये बन रहें जानलेवा जिम्मेदार कौन..?
निर्माण कार्यों में करोड़ों खर्च फिर भी परिणाम जनहित में नहीं, फिर क्या औचित्य इन अंडर पास का
सिरोही | रेलवे द्वारा स्वरूपगंज कस्बे से जाने वाले गाँवो के लिए अंडर ब्रिज बनाया गया यानी आरयूबी संख्या 112 आमजन के साथ साथ वाहन चालकों के लिये जानलेवा साबित हो रहा है। कुछ ऐसा ही हाल जिले के सभी अंडरब्रिज का है जो बारिश के मौसम में अंडर ब्रिज पानी से पूरी तरह भर जाते है जिससे राह चलने वाले राहगीरों के साथ साथ वाहन चालकों को गम्भीर दुविधा झेलनी पड़ रहीं है। आलम यह है क्षेत्र कि अनेकों ग्राम पंचायत के दर्जनों गाँवो के लोग लम्बे समय से भीषण समस्याओं से गुजर रहें हैं। पंरतु जिम्मेदार महकमा इस समस्या से निजात दिलाने के लिये कोई ठोस समाधान ढूढ़ने में अभीतक पूरी तरह से विफल रहा है। जिससे दिनों दिन लोगों में भी भीषण आक्रोश उपज रहा है।
स्वरूपगंज का अंडरब्रिज बसबसे बड़ी दुविधा :-
रेलवे के अंडर ब्रिज आरयूबी संख्या 112 जो स्वरूपगंज कस्बे में स्थित है यहां से क्षेत्र के 15 ग्राम पंचायतों के दर्जनों गांवों के हजारों लोग प्रतिदिन इस ब्रिज में होकर गुजरते है। जिसमे पीपेला, रोहिड़ा, वासा ढाकेला, वालोरिया, पानिया, सनवाड़ा आर, वाटेरा भीमाणा, माण्डवाडा देव, भूला, काला महादेव, सहित दर्जनों गाँव व ढाणियो के लोग निवास करते है। जो किसी ने किसी कार्य के लिये स्वरूपगंज में आना जाना रहता उस समय यह अंडरब्रिज उन लोगो के लिये निरन्तर परेशानी का सबब बना हुआ है। परन्तु जिम्मेदार आज भी बेखबर है।
रेलवे के इंजीनियर व अधिकारियों की योग्यता और कार्यशैली भी सवालो के दायरे में..?
जनता के खून पसीने के टैक्स के पैसे से बने इन अंडर ब्रिज को बनाने वाले इंजीनियर व रेलवे के उन जिम्मेदारों की कार्यशैली व योग्यता पर भी गम्भीर सवालियां निशान खड़ा कर दिया है। हैरत की बात तो यह है कि उन इंजीनियर व अधिकारियों का यह दिमाग क्यो नही चला कि जब इस अंडरब्रिज को खोदकर बनाया जा रहा है तब यह क्यो नही सोचा गया कि इसमें पानी भरने पर निकासी कैसे होगी..? कब तक मोटर लगाकर ईधन पर लाखों रुपये खर्च करके पानी निकालेंगे..? जबकि यह अंडर ब्रिज बारिश में पूरी तरह जलमग्न हो जाते हैं। ऐसे में रेलवे के अधिकारियों ने सरकार के समक्ष यह प्रस्ताव क्यो नहीं रखा कि उक्त अंडरब्रिज बारिश में सुविधा की जगह आमजन के लिये दुविधा खड़ी करेगे..? रेलवे के उन अधिकारियों के पास भविष्य की समस्याओं से निपटने के लिये अब उनके पास क्या योजना है..? उक्त पानी भराव की समस्या से कैसे निजात दिलवा पायेंगे..? जब किसी कार्य को करने से पहले उसका प्लानिंग होता है बड़े बड़े इंजीनियर मंथन करते है फिर इस आरयूबी की समस्याओं को लेकर उन इंजीनियर को कोई उचित समाधान क्यों नहीं दिखा..? पानी भराव के बाद निकासी पर उनकी प्लानिंग योजना क्यो विफल हुई..? ऐसे में उनकी योग्यता व कार्यशैली भी गम्भीर सवालो के दायरे में है..? ऐसी कौनसी पढ़ाई करके आये जिम्मेदार जिन्हें भविष्य की समस्याओ का पूर्वानुमान तक नहीं लगा पाया..?
करोड़ो खर्च फिर भी क्षेत्र की जनता परेशान जिम्मेदार कौन :-
अंडरब्रिज को बनाने में करोड़ों रुपये खर्च होते है, जो देश कि जनता के टैक्स के पैसे होते है, यदि उनका उपयोग जनता के सुविधाओं के लिये होतो व जनहित में सार्थक होता है। परंतु कोई उन पैसे का जनता को सुविधा देने के नाम पर उल्टा दुविधा में खड़ा कर दे तो कहां तक उचित है..? आज करोडो रुपये खर्च करने के बाद भी अंडरब्रिज की वजह से जनता आये दिन गम्भीर परेशानियां झेल रहीं है। बारिश में यह अंडर ब्रिज तालाब बन जाते है, जिसमे चलना किसी खतरे से कम नहीं। फिर ऐसे अंडरब्रिज का जनहित में निर्माण करना कहां तक उचित हैं..? ओर अब इस समस्या से कैसे निपटारा मिलेगा इसका जवाब शायद ही कोई दे पाये।
नेताओ को सिर्फ चुनाव में जनता आती है याद :-
क्षेत्र के नेताओ को सिर्फ चुनाव में वोट लेने के लिये जनता की याद आती है। बाकी दिनों में जनता भले दुःखी हो उन्हें उनसे कोई सरोकार नहीं। मौजूदा जालोर सिरोही सांसद देवजी एम पटेल की केंद्र में सरकार है ऐसे में क्या उनकी यह नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती की.. रेल मंत्री से बात करके इस समस्या से अवगत करवाकर अंडरब्रिज की जगह ओवरब्रिज बनाने की मांग करके इस समस्या से स्थाई समाधान क्षेत्र की जनता को देते, परन्तु सांसद केवल बड़े बड़े मंचो पर डिंग हांकने का काम कर रहें है..? साथ ही जिले के कांग्रेस के नेताओ को भी राज्य सरकार स्तर पर मुद्दा उठाकर समस्या समाधान के प्रयास करने चाहिए थे परन्तु उनके नेता भी सिर्फ फीता काटने से कभी बाज आये नहीं। क्षेत्र की जनता को शिकायत दोनों पार्टियों के नेताओ से है और आक्रोश भी।
गम्भीर बीमारी से पीड़ित व प्रसूताओं को कैसे लेकर जाना :-
बारिश में यह अंडरब्रिज पूरी तरह पानी से भर जाते हैं, ऐसे में आप सोचिये उन हालतों में प्रसूता महिलाओं और गम्भीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को हॉस्पिटल कैसे लेकर जाना…? कई बार पानी मे एम्बुलेंस फंस जाती बड़ी गाड़िया तक फंस जाती है, उस वक़्त उन पीड़ित व उनके परिजनों पर क्या गुजरती होगी इसकी हम कल्पना भी नही कर सकते..? इसलिए यह सुविधा आज क्षेत्र के लिये प्राणघातक दुविधा बन गई है..?
कबतक मोटर लगाकर पानी निकासी की होगी खानापूर्ति :-
रेलवे द्वारा अंडरब्रिज से पानी निकासी के लिये फिलहाल मोटर लगाकर खानापूर्ति की जा रहीं सवाल यह उठता है कि यह खानापूर्ति कबतक होती रहेगी..? सुबह पानी मोटर लगाकर निकाला जाता वो शाम तक या सुबह तक पुनः अंदर आ जाता और अंडरब्रिज पानी से भर जाता है..? ऐसे में यह खानापूर्ति का प्रयास कोई स्थायी समाधान नहीं है। इसमें भी ईधन के नाम पर प्रतिदिन हजारों रुपये खर्च हो रहें है…? जो जनता पर ही भार है। फिर इस प्रयास का क्या औचित्य जबकि जिम्मेदारों को स्थानी समाधान को लेकर सरकार से बात करके कोई प्रयास करने चाहिए।