0.9 C
New York
Wednesday, December 25, 2024

बॉलीवुड अभिनेताओं का जेएनवीयू थिएटर जेल में संवाद (प्रयोग करने से पहले अभिनेता को नाटक की ग्रामर आनी चाहिए- सुमित व्यास )

जेएनवीयू के थिएटर सेल में सुखद संयोग से बॉलीवुड के तीन मंझे हुए कलाकारों ‘मिर्जापुर’ और ‘आर्टिकल 15’ फेम सुभ्रज्योति बरत , ‘दंगल’, ‘जॉली एलएलबी’ और ‘मुल्क’ फेम कुमुद मिश्रा और वर्तमान में हिंदी फिल्म और वेब सीरीज के स्टार सुमित व्यास ने दो से ढाई घंटे तक औपचारिक एवं अनौपचारिक संवाद किया और तीनों कलाकारों ने खुलकर और आत्मीयता से अपनी बात रखी। रंग पुरोधा बी.एम. व्यास , एनएसडी के विक्रम सिंह राठौड़ के सानिध्य में रंगकर्मी, कवि एवं अंग्रेजी के सहायक आचार्य डॉ. हितेंद्र गोयल के समन्वयन में तीनों कलाकारों की अभिनय यात्रा के साथ फिल्म , रंगकर्म की बारीकियों के अलावा संघर्ष आदि पर नाट्य अभिनय के छात्रों की जिज्ञासाओं पर चर्चा हुई। सशक्त अभिनेता कुमुद मिश्रा ने अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि अभिनय यात्रा में अब तक सिर्फ एक बार ऐसा हुआ कि जब नाटक के बाद भी चरित्र कुछ देर तक मुझमें मौजूद रहा , लेकिन एक अभिनेता के तौर पर मैं इस बात को ठीक नहीं मानता। उन्होंने कहा कि अभिनेता को कभी भी असफल होने से घबराना नहीं चाहिए । नाट्य अभिनेता का फिल्म में काम करना कोई अपराध या पाप नहीं है। सिने सितारा सुमित व्यास ने अभिनय की शुरुआती दौर में भाषायी तैयारी की ओर विशेष ध्यान का इशारा करते हुए कहा कि उच्चारण की शुद्धता जरूरी तो है परंतु अभिनय के समय वह सहज रूप से एवं चरित्रानुकूल तरीके से अभिव्यक्त हो। जिसे अभिनय की ग्रामर पता है वह अभिनेता प्रयोगवादी हो सकता है। वाराणसी के एक बंगाली परिवार में जन्म लेने वाले अभिनेता सुभ्रज्योति बरत ने अनुभूत सूचनाओं को ज्ञान में परिवर्तित करने की प्रेरणा दी और अध्ययन प्रवृत्ति के साथ-साथ समस्त ज्ञानेंद्रियों के साथ ऑब्जरवेशन की महत्ता पर अपनी बात कही ।नाट्य जैसी समग्र कला के प्रति जुनून एवं समर्पण की बात करते हुए उन्होने कहा कि अभिनेता को भी फौजी की तरह ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। गुणवत्ता की बजाय कुकुरमुत्तों की तरह नाट्य प्रशिक्षण संस्थानों के वजूद में आने पर तंज कसते हुए कहा कि नाटक भी जनसंख्या और प्रदुषण की तरह फैल रहा है ।विद्यार्थियों के रंग गुरू, वरिष्ठ लेखक और सुमित व्यास के पिता बी.एम. व्यास ने कहा कि रंगकर्मी गरीब होता है या प्रसिद्ध नहीं होता है । हमे इस टैबू को तोड़़ना है क्योंकि ओढा हुआ आदर्शवाद कायरता है। इस रंगचर्चा में शाइर, निबंधकार, उर्दू व्याख्याता एवं भारतीय फिल्म एवं टेलिविज़न संस्थान पुणे में नियमित अंतराल में डिक्शन फै़कल्टी रहने वाले डॉ. इश्राकुल इस्लाम माहिर ने भी भाग लिया। इस अवसर पर आकाशवाणी जोधपुर के वरिष्ठ उद्घोषक, अभिनेता एवं कार्यक्रम अधिकारी भानु पुरोहित के साथ-साथ थिएटर सेल के सभी विद्यार्थी एवं रंगकर्मी मौजूद थे।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Follow Me

16,500FansLike
5,448FollowersFollow
1,080SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles