पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर संभाग के डॉ. एस.एन. मेडिकल कॉलेज के अधीन सबसे बड़े सरकारी अस्पताल माथुरादास माथुर अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक विभाग में हुई जन्मजात रोग डी. ओ. आर. वी एवं वि.एस.डी , पीएस ( डबल आउटलेट राइट वेंट्रीकल, वेंट्रिकुलर सेप्टल में छेद के साथ पलमोनरी स्टेनोसिस) की दुर्लभ सर्जरी।
डॉएसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल एवं कंट्रोलर डॉ दिलीप कछवाहा तथा एमडीएम हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने सीटीवीएस टीम को बधाई दी। कॉलेज प्रवक्ता डॉजयराम रावतानी ने बताया कि यह ऑपरेशन मुख्य मंत्री चिरंजीवी चिकित्सा योजना के अंतर्गत निशुल्क किया गया।
सीटीवीएस विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुभाष बलारा ने बताया कि बाड़मेर निवासी 7 वर्षीय बच्ची गत 2 वर्षों से सास की तकलीफ से जूझ रही थी ।यह तकलीफ उसको जन्म के उपरांत शुरू हो गई थी और उम्र के साथ बढ़ने लगी तथा कभी-कभी शरीर नीला भी पढ़ने लगा। जिसके लिए उसने अपने क्षेत्र में इलाज लिया परंतु लाभ ना मिलने की स्थिति में वह जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के उत्कर्ष सीटीवीएस वार्ड में भर्ती हुई। जहां जांचो तथा इकोकार्डियोग्राफी में बच्ची के हृदय में जन्मजात रोग डी.ओ. आर. वी के साथ वी.एस.डी और पी.एस है ।
अतः सर्जरी द्वारा हॉट के छेद को बंद करने तथा रिकंस्ट्रक्शन करने का निर्णय लिया गया ।
इस ऑपरेशन को बाईपास मशीन पर किया गया।
इस ऑपरेशन में डॉ सुभाष बलारा , सहायक आचार्य डॉ अभिनव सिंह तथा डॉ देवाराम , निश्चेतन विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ राकेश करनावत सहआचार्य डॉ शिखा सोनी, सहायक आचार्य डॉ गायत्री शामिल थे । आईसीयू के डॉ कुलदीप, डॉ दिनेश तथा डॉ गिरधर ,ओटी स्टाफ आसिफ इकबाल ,मोनिका तेज प्रकाश सोनी तथा आईसीयू स्टाफ नरेश,हरि सिंह, भंवर इलाज में अहम भूमिका निभाई ।
ऑपरेशन के पश्चात बच्ची को सिटी आईसीयू में रखा गया जहां मेडिकल पैरामीटर के नॉर्मल होने पर मरीज को वेंटिलेटर से हटाया गया और वह अब पूर्णता स्वस्थ है।
सहायक आचार्य डॉ अभिनव सिंह ने बताया कि डी. ओ .र .वी एवं वी.एस .डी पी. एस (डबल आउटलेट राइट वेंट्रीकल के साथ वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट और पलमोनरी स्टेनोसिस) एक दुर्लभ कंजनाईटन बीमारी है,जिनका इंसिडेंस नॉर्मल पॉपुलेशन में 0.09 पर 1000 लाइव बर्थ होता है । इस बीमारी में बच्चे नीले होने से हार्ट फैलियर तक की प्रेजेंटेशन में आते है ।
वि.एस.डी के आधार पर इस बीमारी को मुख्यता 4 भागों में बांटा गया है।
यह बीमारी अमूमन हार्ट की अन्य जन्मजात रोगों के साथ एसोसिएटेड होती है जैसे कि हार्ट के छेद ,कैनाल डिफेक्ट, महा धमनियों की बीमारी तथा ह्रदय के वोल्वो की बीमारी।
इस बीमारी में हृदय के छेद वीएसडी तथा महा धमनियों की पोजीशन के आधार पर सर्जिकल ट्रीटमेंट प्लान किया जाता है ।
इस केस में इंट्राकार्डियक टनल प्रोसीजर के द्वारा बाई वेंट्रिकुलर रिपेयर हासिल किया गया ।
इस प्रक्रिया में हार्ट की झिल्ली पेरिकार्डियम को छेद बंद करने के लिए तथा उसको हार्ट की मुख्य धमनी एयोर्टा से कनेक्ट( इंट्राकार्डियक टनल )करने में इस्तेमाल किया गया। आर .वी .ओ. टी के मस्कुलर बैंड को भी काटा गया तथा पलमोनरी आर्टरी को पेरिकार्डियम द्वारा अगुमेंट किया गया
यह थ्री डाइमेंशनल रिपेयर होता है, जिसमे आरवीओटी (राइट वेंट्रिकुलर आउटफ्लो ट्रैक्ट) तथा एलवीओटी (लेफ्ट वेंट्रिकुलर आउटफ्लो ट्रैक्ट) जो कि महाधमनी से कनेक्ट होते हैं उनका विशेष ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि इन में सिकुड़न जानलेवा हो सकती है ।
बच्ची अब ऑपरेशन के बाद पूर्णता स्वस्थ है और उसका इलाज सीटीवीएस वार्ड में हो रहा है। ऑपरेशन के पश्चात की सभी जांचें ,ब्लड पैरामीटर्स इकोकार्डियोग्राफी भी नॉर्मल है ।