जोधपुर। जीवन में संयम का होना अति आवश्यक है। संयम की साधना से ही व्यक्ति मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। उपरोक्त कथन संत निपुण चंद्र सागर ने नागोरि गेट स्थित मुहता जी मंदिर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि मोक्ष का यदि कोई कारक है तो वह संयम ही है। बिना संयम के चारित्र अंगीकार नही किया जा सकता। संयम को धारण करने के लिए इंद्रियों पर अंकुश लगाते हुए मन को मोड़ना पड़ता है। उन्होंने ये भी कहा कि प्रत्येक श्रावक के घर में भौतिक संसाधनों की भरमार होती है। किंतु घर पर संयम के उपकरण नहीं मिलते। संयम के उपकरणों के प्रति बहुमान का भाव होना चाहिए। जिसे हम नित्य प्रति वंदन करते हुए यह कामना करें की जीवन में कभी इन उपकरणों का सेवन में भी कर पाऊं और उत्तम चारित्र का पालन करते हुए संयम की आराधना कर मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर संकू। ट्रस्ट के प्रवक्ता दिलीप जैन एवं उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह मुहता ने बताया की रविवार को उपकरण वंदनावली का संगीतमय आयोजन किया जाएगा।