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Thursday, December 26, 2024

सामायिक से अहिंसा, संयम एवं तप की आराधना होती है

संत निपुण चंद्र सागर
जोधपुर। मुहता जी मंदिर में वर्षावास दौरान विराजित संत निपुण चंद्र सागर ने श्रावकों के 6 आवश्यक कर्तव्यों की विवेचना करते हुए कहा कि प्रतिदिन सामायिक करना श्रावक का प्रथम कर्तव्य है। सामायिक करना परमात्मा की आज्ञा का पालन है। उन्होंने सामायिक की महत्ता बताते हुए कहा कि 48 मिनट की सामायिक न केवल साधु चर्या का पालन है बल्कि इसके करने से अहिंसा, संयम एवं तप की भी आराधना हो जाती है। इससे सुक्ष्म से लेकर बाधर तक के जीवों की रक्षा भी होती है। पांचों इंद्रियों पर नियंत्रण करते हुए संयमित रहने का तथा चारों आहार त्याग करने का अवसर भी मात्र सामायिक करने से प्राप्त हो जाता है। उन्होंने मन, वचन एवं काया के शुद्ध भावों के साथ की गई सामायिक को जिन धर्म की सच्ची उपासना बताया। ट्रस्ट के प्रवक्ता दिलीप जैन एवं उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह मुहता ने बताया कि संत प्रवर ने धर्म सभा में उपस्थित सभी को प्रति दिन सामायिक करने की प्रेरणा दी। सभा का संचालन संजय मेहता ने किया

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