कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने अपने कर्मचारियों को सीपीआर तकनीक के प्रति जागरूक बनाने की पहल प्रारंभ की है जिसके तहत हजारों रेल कर्मचारियों को इसका प्रशिक्षण देने के लिए विशेष सत्रों की शुरुआत की गई हैं।
उत्तर-पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल पर गुरुवार से प्रारंभ हुए सीपीआर प्रशिक्षण से जुड़े पहले सत्र में करीब डेढ़ सौ कर्मचारियों को इसका गहन प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें प्रशिक्षक डॉ राजेंद्र तातेड़ ने प्रभावित व्यक्ति को सीपीआर देने की आवश्यकता और उसके विभिन्न तरीकों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कोच केयर कॉम्प्लेक्स में आयोजित पहले सत्र में सीपीआर तकनीक का लाइव डेमो देते हुए डॉ तातेड़ ने बताया कि सीपीआर एक इमरजेंसी लाइफ सेवर प्रक्रिया है जिसे तब किया जाता है जब दिल धड़कना बंद कर देता है। हार्ट ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार कार्डियक अरेस्ट के बाद तत्काल सीपीआर देने से व्यक्ति के बचने की संभावना दोगुनी या तिगुनी हो सकती है। सीपीआर से हार्ट व ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन में सहायता मिलती है।
इस दौरान उन्होंने विभिन्न पोस्टरों व डमी के माध्यम से सीपीआर का लाइव डेमो दिया तथा विशेषकर पानी में डूबने व भगदड़ मचने से अचेत हुए लोगों को सीपीआर देने के प्रभावी तरीकों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक चिकित्सा सहायता उपलब्ध होने तक सीपीआर दिया जा सकता है।
डीआरएम पंकज कुमार सिंह ने बताया कि रेल कर्मचारियों को सीपीआर तकनीक के प्रति जागरूक बनाने के लिए प्रशिक्षण सत्रों की चरणबद्ध शुरुआत की गई हैं। जिसके तहत दूसरा सत्र शुक्रवार को भगत की कोठी डीजल शेड में सुबह 10 बजे प्रारंभ होगा। उन्होंने कहा कि कार्य स्थल पर ही सीपीआर तकनीक का प्रशिक्षण उपलब्ध कराना रेलवे का नवाचार है तथा सभी कर्मचारियों को यह प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए।
पहले सत्र के दौरान डॉ तातेड़ के साथ डॉ राजेश सिंघवी,सीनियर सेक्शन इंजीनियर(इलेक्ट्रिक) अनिल रामदेव,सीनियर सेक्शन इंजीनियर(कैरेज एंड वैगन) सुनील चतुर्वेदी,वरिष्ठ कल्याण निरीक्षक अनिल चानना, श्याम सिंह इत्यादि उपस्थित थे।