संत निपुण चंद्र सागर मुहता जी मंदिर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए संत निपुण चंद्र सागर ने सामायिक के दोषों की विवेचना करते हुए कहा कि धार्मिक आराधनाएं मान-सम्मान, अभिमान, यश कीर्ति एवं प्रलोभन का आलंबन लेते हुए लाभ की कामना करके नहीं की जाती। ऐसा करने से की गई तमाम धार्मिक साधना एवं आराधनाओं के पुण्य का नाश हो जाता है। ट्रस्ट के प्रवक्ता दिलीप जैन एवं अध्यक्ष संजय मेहता ने बताया कि संत प्रवर द्वारा सामायिक करते समय मन के दोषों की विवेचना करते हुए नियमित रूप से दोष रहित सामायिक करने की प्रेरणा दी गई। चातुर्मास समिति के संयोजक राजेंद्र सिंह मुहता ने बताया कि धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा निपुण चंद्र सागर के सांसारिक माता पवन बेन के चल रही तपस्या के तहत 20 उपवास के तप की अनुमदना की गई।