खंडग्रास चंद्रग्रहण आज, ठाकुरजी को लगाया खीर का भोगजोधपुर। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा के रूप में मनाई गई। आज मध्यरात्रि में साल का आखिरी खंडग्रास चंद्रग्रहण रहेगा। मध्यरात्रि बाद रात 1.05 बजे से चंद्रग्रहण शुरू होगा जो 2.23 बजे तक रहेगा। ग्रहण की अवधि 1 घंटा 18 मिनट रहेगी। ग्रहण का सूतक आज शाम 4 बजकर 5 मिनट से ही शुरू हो गया। इसलिए ठाकुरजी के खीर का भोग एक दिन पहले लगाया गया। शहर के सभी प्रमुख कृष्ण मंदिरों में ठाकुरजी का विशेष शरद शृंगार कर खीर का भोग लगाया गया। साथ ही घरों व अन्य स्थानों पर भी खीर बनाकर चांद की किरणों के समक्ष रखा गया। इस खीर को आज सुबह भोग लगाकर ग्रहण किया गया। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन षोडश कलाओं से परिपूर्ण चन्द्रमा से अमृत किरण वर्षा होती है। चंद्रमा के औषधीय गुणों से युक्त किरणें पडऩे से खीर भी अमृत के समान होती हे जिसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद माना जाता है।दरअसल शरद पूर्णिमा की तिथि आज सुबह 4.17 बजे शुरू हो गई और समापन देर रात 3.46 बजे होगा। इसलिए आज शरद पूर्णिमा का व्रत रहा लेकिन इस वर्ष का आखिरी चंद्रग्रहण भी आज है। चंद्रग्रहण व सूतक के कारण एक दिन पहले शुक्रवार रात को ठाकुरजी के खीर का भोग लगाया गया और सत्संग संकीर्तन के बाद भक्तों में प्रसादी वितरित की गई। रातानाडा स्थित श्री राधाकृष्ण मंदिर के पुजारी हरिभाई ने बताया कि शुक्रवार को रात्रि में ठाकुरजी के खीर का भोग लगाया गया। वहीं सत्संग भवन सरदारपुरा में भी भगवान के खीर का भोग शुक्रवार रात्रि में लगा। शरद पूर्णिमा एवं भक्तिमति मीराबाई के जन्म दिवस के मौके पर सत्संग भवन ट्रस्ट द्वारा शुक्रवार शाम को मीरा शरद महोत्सव का आयोजन किया गया। कुंजबिहारी मंदिर में भी शुक्रवार को ठाकुरजी को सफेद चीजों का भोग लगाया गया और ठाकुर जी को बाहर लाते हुए चंद्रमा की चांदनी में विराजमान करवाया गया। सफेद पोशाक में विशेष श्रृंगार के साथ ठाकुरजी को सफेद ज्वेलरी की साफा पहनाया गया। इसके साथ ही खीर खाजा सफेद पुलाव और मक्खन आदि का भोग लगाया गया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा चलाए जा रहे प्रकल्प आरोग्य संपूर्ण स्वास्थ्य प्रकल्प के अंतर्गत शरद पूर्णिमा के अवसर पर आयुर्वेदिक उपचार शिविर का आयोजन चौपसानी हाउसिंग बोर्उ स्थित दशहरा मैदान में किया गया। शिविर में दमा, पुरानी खांसी, नजला, एलर्जी जैसी स्वास्थ्य से संबंधित बीमारियों के इलाज हेतु वैदिक कालीन आयुर्वेदिक पद्धति द्वारा निर्मित और औषधियुक्त खीर साधकों को खिलाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक प्रार्थना और वंदन के साथ की गई। कार्यक्रम में महात्मा बुद्ध के जीवन पर आधारित एक नाटिका को वीडियो के माध्यम से दिखाया गया जिसमे गुरु शिष्य के अनन्य प्रेम को बताया गया।