जोधपुर। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुथी से मनाए जाने वाले छठ पूजा व्रत को लेकर बिहारी समाज के लोगों में उत्साह का माहौल है। चार दिवसीय महापर्व का आरंभ शुक्रवार को व समापन सोमवार को होगा। इस व्रत में सूर्य व छठी मां की पूजा की जाती है।चार दिवसीय डाला छठ पूजन उत्सव 17 नवंबर को मंगल गीतों के बीच सुबह नहाए खाए की रस्म के साथ शुरू होगी। पूजा का दूसरा दिन शनिवार को खरना सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलेगा। इस दिन गुड़, चावल, खीर, मिट्टी के नए बर्तन एवं चूल्हे पर लकड़ी जलाकर बनाया जाता है। इस दिन नमक नहीं खाया जाता है। इस मौके पर व्रती खरना का पूजन करेंगे। श्रद्धालु पूरे दिन निर्जला उपवास करके सायंकाल में सूर्य देवता की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगे। इसके बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला अनुष्ठान का संकल्प लेंगे। तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। छठ पर्व के अंतिम दिन सुबह व्रती घाट पर उदीयमान सूर्य को दूध तथा जल से अघ्र्य देंगे। साथ ही 36 घंटे के निर्जला उपवास भी पूरा होगा। परिवार की खुशहाली, बेटे और पति की लंबी आयु और मनोकामनाओं का पूर्ति के लिए महिलाओं की ओर से यह कठिन व्रत किया जाता है। बता दे कि जोधपुर शहर में रातानाडा, कुड़ी भगतासनी, एयरफोर्स, सैन्य क्षेत्र, मधुबन हाउसिंग बोर्ड, प्रतापनगर सहित शहर के विभिन्न क्षेत्रों में निवासरत बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड व पूर्वोत्तर राज्यों के मूलवासियों की ओर से यह पर्व मनाया जाता है। इन क्षेत्रों में सुबह जलाशय पर सूर्य को अघ्र्य देने में छठ व्रतियों को परेशानी ना हो इसके लिए समूचित इंतजाम किए जा रहे है।