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Tuesday, December 24, 2024

प्रदेश की पहली डीएनए लैब जोधपुर में तैयार, एक सप्ताह में मिलेगी रिपोर्ट

प्रदेश की पहली डीएनए लैब जोधपुर में तैयार, एक सप्ताह में मिलेगी रिपोर्ट
जोधपुर। मेडिकल कॉलेज लेवल पर राजस्थान की पहली डीएनए फिंगर प्रिंट लैब जोधपुर के महात्मा गांधी हॉस्पिटल में बनकर तैयार है। सीएम अशोक गहलोत ने अपने बजट में इसे बनाने की घोषणा की थी। इसकी पालना में प्रदेश की ये पहली लैब बनकर तैयार हो चुकी है। जल्द ही यहां पर डीएनए जांच रिपोर्ट का काम शुरू हो सकेगा। इससे रैप, मर्डर और अन्य गंभीर अपराधों में न्याय के आस में इंतजार कर रहे पीडि़तों के लिए राहत मिलने वाली है।
प्रदेश में अब तक मेडिकल कॉलेज स्तर पर डीएनए टेस्टिंग की सुविधा नहीं है। सीएम की बजट घोषणा के तहत कोटा, जयपुर, जोधपुर व उदयपुर मेडिकल कॉलेजों में डीएनए फिंगर प्रिंट लैब बनाई जा रही है। फिलहाल यहां पर मशीनरी भी लगाई जा चुकी है। साइंटिस्ट के पद पर नियुक्ति के बाद काम शुरू किया जाएगा। आमतौर पर डीएनए के लिए भेजे जाने वाले सैंपल की रिपोर्ट आने में 3 से 6 माह भी लग जाते हैं। कई बार इतने दिनों में भी रिपोर्ट नहीं मिल पाती है। इसका सीधा असर न्यायिक प्रकरणों पर भी पड़ता है। इसके शुरू होने से आम तौर पर इस तरह के मामलों में 6 माह में मिलने वाली रिपोर्ट से 6 से 10 दिन में मिल सकेगी। इसके चलते कोर्ट में पेंडिंग चल रहे प्रकरण का भी जल्द निपटारा हो सकेगा। वर्तमान में यहां पर संभाग भर से सैंपल जांच के लिए आते हैं जिन्हें मंडोर और जयपुर स्थित एफएसएल लैब भेजा जाता है। इसके चलते दोनों ही लैब में पैंडेंसी भी अधिक है। सैंपल भेजने से लेकर रिपोर्ट मिलने तक 3 से 6 माह तक लग जाते हैं। कई मामलों में इससे भी अधिक समय लगता है। सैंपल रिपोर्ट में देरी का सीधा असर मर्डर, रैप और गंभीर अपराधों की कार्रवाई पर भी पड़ता है। रिपोर्ट देरी से मिलने के चलते न्याय की आस में कोर्ट के चक्कर काटने वाले पीडि़तों को भी परेशान होना पड़ता है। कोर्ट में इसी रिपोर्ट के चलते मामलों में पैंडेंसी बनी हुई है। क्योंकि कई बार अपराधी को सजा दिलाने, अपराध को सिद्ध करने, आरोपी की पहचान आदि मामलों में डीएनए रिपोर्ट ही मायने रखती है। पुलिस में केस दर्ज होने के बाद आरोप सिद्ध करने के लिए पुलिस डीएनए लैब में जांच के लिए भेजती हैं। जांच नहीं आने तक कोर्ट ने भी मामला पेंडिंग रहता है।
बजट घोषणा की हुई क्रियान्विति
शहर में ही डीएनए जांच की सुविधा से पीडि़तों को जल्द न्याय दिलाने की मंशा के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट में इसकी घोषणा की थी। इसके तहत राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा के मेडिकल कॉलेज में मेडिकल कॉलेज के अधीन डीएनए टैस्ट लैब की घोषणा की थी। प्रदेश में केवल जयपुर में ही एकमात्र राज्य विधि विज्ञान की प्रयोगशाला है। ये केंद्र सरकार के एफएसएल विभाग के अधीन है। पूरे प्रदेश से जांच के लिए सैंपल इसी लैब से भेजे जाते हैं। यहां मैन पावर और सैंपल ओवरलोड अधिक होने के चलते 12 से 13 हजार जांच पेंडिंग चल रही है। इसी पैंडेंसी को खत्म करने के लिए मंडोर स्थित राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भी डीएनए टेस्ट शुरू किए गए थे। बता दें कि रेप और पॉक्सो के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में डीएनए टेस्ट करना अनिवार्य कर दिया था। इसके चलते प्रदेश भर से सैंपल राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में आने लग गए। नतीजन यहां पर दिनों दिन पैंडेंसी भी बढऩे लगी। बताया जा रहा है की स्टाफ की कमी की वजह से भी सैंपल रिपोर्ट में देरी हो रही है। इसके चलते उम्मीद की जा रही है कि जोधपुर में लैब खुलने से जयपुर में पैंडेंसी कम होगी और पीडि़तों को भी जल्द न्याय मिल सकेगा।

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