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Wednesday, December 25, 2024

बेटियां सदैव पिता का रक्षा कवच होती है: डॉ. चारणकवि रेवतदान चारण की जन्म शताब्दी पर राजस्थानी कवि सम्मेलन आयोजित

जोधपुर। साहित्य संस्थान सिटिजन्स सोसाइटी फॉर एज्यूकेशन द्वारा राजस्थानी भाषा के कालजयी कवि रेवतदान चारण की जन्म शताब्दी पर उनकी स्मृति में राजस्थानी कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमेंं कवियों ने शानदार प्रस्तुति देते हुए राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति की सौरभ बिखेरकर उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया।ख्यातनाम कवि डॉ. अर्जुनदेव चारण ने राजस्थान की ऐतिहासिक नायिका मेवाड़ की राजकुमारी कृष्णा कुमारी के जीवन पर आधारित कविता पढ़ते हुए कहा कि बेटियां सदैव पिता का रक्षा कवच होती है। वरिष्ठ कवि श्यामसुन्दर भारती ने अपनी कविता अब युद्ध नहीं सुनाकर प्रेम और विश्व शांति का सकारात्मक संदेश दिया। कवि श्यामसुन्दर बोड़ा ने बोल म्हारा गांव, वौ झूपड़ौ कठै सुनाकर राजस्थानी ग्रामीण संस्कृति की अनूठी छट्टा बिखेरी। डिंगल कवि मोहनसिंह रतनू ने नारी मन की कोमल भावनाओं को बारीकी से उकेरते हुए अपनी गेय काव्य रचना छैल भंवर म्हांनै जैपर घुमादयौ जी सुनाकर खूब तालियां बटोरी। राजस्थानी भाषा की सुमधुर कवयित्री डॉ. सुमन बिस्सा ने श्रृंगार रस से सराबोर काव्य रचना गजबण गजब करै सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया। कवि गजेसिंह राजपुरोहित ने राजस्थानी प्रीत परंपरा को रेखांकित करते हुए अपनी काव्य रचना परदां में निजर मती धरजै, भरम री भींत टूट जासी के माध्यम से वर्तमान प्रेमियों की पीड़ा को उजागर कर वाह वाही लूटी। कवि वाजिद हसन काजी ने आओ इक जाजम पर बैठा बात करा प्रस्तुत कर सामाजिक सद्भाव का सकारात्मक संदेश दिया। कवि एनडी निम्बावत ने केसर जैड़ी चुनरियां, गुलाबी थांरी चोळी सुनाकर उपस्थित श्रोताओं को युवा मन के अल्हड़पन का अह्सास कराया। कवि श्यामसिंह सजाड़ा ने धरती गीत रणबंकौ राजस्थान के मार्फत राजस्थान का यशोगान उजागर किया। युवा कवि महेन्द्रसिंह छायण ने कालजयी कवि रेवतदान चारण को दोहामय काव्यांजलि प्रस्तुत करते हुए अपनी जोशीले अंदाज में जठै अजै तक रचै कविता रीत सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी कड़ी में युवा कवि जितेन्द्रसिंह साठीका ने देश भक्ति से परिपूर्ण काव्य रचना भारत माता-भाग्य विधाता सुनाकर अपनी काव्य प्रतिभा का परिचय दिया। कवि सम्मेलन का सरस संचालन डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने किया।कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवं कालजयी कवि रेवतदान चारण के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। तत्पश्चात कवयित्री डॉ. सुमिता व्यास मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की। संस्थान के अध्यक्ष किशनगोपाल जोशी ने स्वागत उद्बोधन देते हुए सभी कवियों का माल्यार्पण कर स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कवि सम्मेलन के समापन पर संस्थान के सचिव मोहनदास वैष्णव ने सभी का आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर ख्यातनाम शाइर शीन क़ाफ निजाम, प्रोफेसर सोहनदान चारण, डॉ. रमाकांत शर्मा, डॉ. पद्मजा शर्मा, डॉ. चांदकौर जोशी, दिनेश सिंदल, अफजल जोधपुरी, डॉ. निसार राही, भंवरलाल सुथार, बसंती पंवार, शीन मीम हनीफ, डॉ. सुखदेव राव, इश्राकुल इस्लाम माहिर, निर्मला राठौड़, कैलाश दान लालस, नफासत, कालूराम प्रजापत, खेमकरण लालस, डॉ. जीवराजसिंह चारण, मंजू जांगिड़, पूजा राजपुरोहित, डॉ. अमित गहलोत, डॉ. भींवसिंह राठौड, दिलीपसिंह राव, जगदीश मेघवाल, विष्णुशंकर, मगराज, डॉ. कमलकिशोर, मनोजसिंह सहित अनेक भाषाओं के प्रतिष्ठित साहित्यकार, शायर मौजूद रहे।

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