जोधपुर। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र द्वारा महिलाओं के साथ कार्य स्थल पर होने वाले लैंगिक उत्पीडऩ पर आधारित एक जागरूकता कार्यक्रम आज सुमेर महिला महाविद्यालय में आयोजित किया गया।केंद्र की निदेशक डॉ. धनंजया अमरावत ने बताया कि आज आर्थिक स्वावलंबन के दौर में महिलाएं घर की दहलीज पार कर अपने अपने कार्यक्षेत्र में मुस्तैदी के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है और यह बात किसी भी विकसित समाज के लिए गर्व की बात है लेकिन क्या यह महिला अपने कार्य स्थल पर शारीरिक और मानसिक रूप से पुरुष वर्ग द्वारा स्वीकार्यता व सम्मान प्राप्त कर पाती है? एक महिला के रूप में उसे किन-किन स्तरों पर उत्पीडऩ से गुजरना पड़ता है और इस उत्पीडऩ के रोकथाम निषेध व निवारण के संबंध में कानूनी तौर पर वह क्या सहायता प्राप्त कर सकती है। इसी महत्वपूर्ण विषय पर केंद्रित यह व्याख्यान रखा गया।कार्यक्रम में सर प्रताप विधि महाविद्यालय के प्रिंसिपल डॉ. शंभुसिह राठौड़ नेे कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीडऩ अधिनियम 2013 की उपयोगी व सारगर्भित जानकारी विभिन्न उदाहरणों के साथ समझाते हुए कहा कि समाज के आधे महत्वपूर्ण भाग को हनुमान की तरह कानून बल स्मरण कराने की आवश्यकता है। प्रत्येक महिला को कार्यस्थल पर गरिमामय माहौल देना कानून का कार्य है साथ ही कार्यस्थल पर वह सुरक्षित महसूस कर सके ऐसा माहौल प्रदान करना भी कानून का दायित्व है लेकिन आवश्यकता संविधान पदत्त अपने कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक होने की है। सामाजिक अनुभव और चेतना लैंगिक उत्पीडऩ पर अंकुश लगाने में व्यावहारिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक डॉ. धनंजया अमरावत ने इस व्याख्यान के विषय को समझाते हुए महिलाओं को इस उत्पीडऩ के खिलाफ मुखर होने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे। अंत में डॉ महेश परिहार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।