जोधपुर। कोरोनाकाल के बाद एवीएन की वजह से हिप रिप्लेसमेंट के मरीजों की तादाद दिन ब दिन बढ़ रही है। हालांकि सही समय पर नई तकनीक से मरीज का इलाज प्रारंभ कर दे तो हिप रिप्लेसमेंट से बचा जा सकता है।अहमदाबाद के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि प्रजापति ने बताया कि कोरोनाकाल के बाद से एवीएन हिप के मरीजों की संख्या पूरे भारत में तेजी से बढ़ी है। कोरोनाकाल में बहुत से मरीजों को स्टीरा ईड की दवा दी गई। उसके बाद से इसके मरीजों की तादाद बढ़ी है। अभी इस समय इसका सम्पूर्ण इलाज हिप रिप्लेसमेंट ही है। हालांकि सही समय पर इलाज होने से हिप रिप्लेसमेंट से बचा जा सकता है।डॉ. रवि प्रजापति के मुताबिक़ आमतौर पर तीन कारणों सें इस सर्जरी को कराने की ज़रूरत पड़ती है जिसमें किसी को कूल्हे का आर्थराइटिस हो या फिर कूल्हे में खून सप्लाई में दिक्कत हो या फिर बहुत भयानक चोट व फ्रेक्चर हो। इसके अलावा कभी-कभी हड्डियों में इंफेक्शन के बाद भी इसकी ज़रूरत पड़ सकती है लेकिन ऐसे मामले बहुत कम होते हैं। डॉक्टरों की मानें तो सिगरेट व शराब पीने वाले स्टेरॉयड या ड्रग्स लेने वालों में हिप रिप्लेसमेंट की ज़्यादा ज़रूरत पड़ सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन सभी चीज़ों की लत वक्त के साथ खून की धमनियों को सिकोड़ देती है जिससे खून के बहाव में दिक्कत आती है।