जोधपुर। सूरसागर स्थित भेसासुर माता का मंदिर भूरन्टिया में चल रही संगीतमय भागवत कथा के सातवें दिन भगवताचार्य नन्दकिशोर महाराज ने सातवें दिन विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए।उन्होंने कृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। उन्होंने कहा कि मित्रता कैसे निभाई जाए, यह भगवान श्रीकृष्ण सुदामा से समझ सकते हैं। उन्होंने सुदामा चरित्र की बहुत ही सुन्दर व्याख्या की। भागवत कथा में कथावाचक ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह को एकाग्रता से सुना। श्रीकृष्ण-रुक्मणी का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगल गीत गाए। इस अवसर पर गंगा राम प्रजापत, शेरसिह पीडिहार, गोपजी विशनोई, विजयसिह गौड़, जितेंद्र सिह सांखला, आसूराम प्रजापत, मनप्रीत सिंह चौहान, नरपत दान चारण, दुर्गादान चारण, करणीदान चारण, शंकर प्रजापत, प्रकाश मेवाड़ा, जुगल किशोर खत्री, भंवर सिंह परिहार, मोहन सिंह भाटी ने मंगलाचरण आरती में भाग लिया।