जोधपुर। करवड़ स्थित आईआईटी जोधपुर परिसर में भारत सरकार के गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग की और से आज उत्तर क्षेत्रीय संयुक्त राजभाषा सम्मेलन हुआ। इसमें देश के दस राज्यों से कर्मचारी पहुंचे जिनका बेहतरीन प्रदर्शन के लिए सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजभाषा कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा अंग्रेजी ने हमारे मन में हिंदी के प्रति हीन भावना पैदा की है। इसलिए राजभाषा कर्मचारी हिंदी के प्रति हीन भावना समाप्त करने के लिए काम करें। राज्यपाल ने कहा हिंदी हमारी राजभाषा है, लेकिन संविधान में 15 साल तक हिंदी की सहयोगी भाषा के तौर पर अंग्रेजी को रखा गया। कवि रामधारी सिंह दिनकर ने इसको लेकर राज्यसभा में कहा था कि कहीं ऐसा नहीं हो की ये भाषा अनंत काल तक रह जाए। उस समय रहे गृहमंत्री ने कहा था ऐसा नहीं होगा, लेकिन उनकी यह बात सही साबित हुई। आज भी अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व बना हुआ है। इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि हिंदी को व्यवहारिक रूप में स्थान दें। जिस विभाग में हम है उस विभाग में किसी भी प्रकार की हीनता का अनुभव नहीं करते हुए हिंदी भाषा का सदैव प्रयोग करें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हिंदी को प्राथमिकता दी गई। भाषा के नजरिए से हिंदी समृद्ध भाषा है। हिंदी की चहुंमुखी विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और क्षेत्रीय स्तर पर स्थानीय भाषा को महत्व दिया जाए।
उन्होंने कहा कि भाषा कोई भी बुरी नहीं होती बशर्ते की वो दूसरी भाषा पर राज करने या साम्राज्य जताने के लिए नहीं लाई जाती हो। राज्यपाल ने कहा भारत में अंग्रेजी भाषा ऐसी ही रही है। जिसने साम्राज्यवाद के बतौर लोगों में गहरी पैठ बनाई है। हिंदी आज भी बहुसंख्यक लोगों द्वारा बोली जाती है। लेकिन अंग्रेजी ने हमारी अपनी भाषा के प्रति हीन भाव पैदा किया है। राजभाषा अधिकारियों को उन्होंने हिंदी के सांस्कृतिक राजदूत कहते हुए उनसे हिंदी के प्रति हीन भावना समाप्त करने के लिए काम करने का आह्वान किया। जहां बहुत जरूरत नहीं है वहां नोटशीट और अन्य पत्रावलियां हिंदी में ही लिखा जाए। उन्होंने कहा राजभाषा हिंदी ही वह माध्यम है जिससे देश की जनता की सांस्कृतिक, सामाजिक सहित अन्य योजनाओं को आखरी छोर तक पहुंचाया जा सकता है। विकास के आरंभिक काल में अंग्रेजी को छोडक़र विश्व की अन्य भाषाओं पर काम नहीं किया गया। ऐसा मान लिया गया की कंप्यूटर अंग्रेजी भाषा ही समझ सकता है, लेकिन ये मिथक तोड़ दिया गया। अब यूनिकोड में कार्य किए जा रहे हैं।
भारतीय संस्कृति को जोड़ा हिंदी ने
उन्होंने कहा कि हिंदी को में भाषा नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और भारतीयता का गौरव मानता हूं। हिंदी भाषा ने ही संकृति की जड़ों से सदा जोड़े रखा गया है। हमारे यहां हर कोस पर पानी और हर 4 कोष में भाषा बदल जाती है, लेकिन इस बदली भाषा में हिंदी की जड़ें समाई हुई है। हिंदी में कुछ न कुछ शब्द होते हीं हजारों शब्दों को अपने में समाई हिंदी विश्व की समृद्ध भाषाओं में से एक हैं। राजभाषा सचिव अंशुली आर्या ने कहा संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। तभी से केंद्र सरकार के सभी उपक्रमों में राजभाषा में किया जा रहा है। पिछले कुछ सालों में हिंदी के प्रति गौरव पहले से कहीं अधिक बढ़ा है। उन्होंने सभी अधिकारियों कर्मचारियों से हिंदी में दैनिक कार्य करने का आह्वान किया। राजभाषा विभाग नई दिल्ली के उप निदेशक राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यक्रम में उत्तर-1 एवं उत्तर-2 क्षेत्र में केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों को विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत राजभाषा में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु पुरस्कार प्रदान किए गए।