जोधपुर। विरक्त संतों की तपोस्थली श्री बड़ा रामद्वारा सूरसागर में अखण्ड नाम जप, संत वाणी सत्संग की प्रवाह में श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिवस सुदामा चरित्र का वर्णन किया। इसमें उन्होंने कृष्ण और सुदामा की मित्रता के बारे में गहनता से बताया। इसके साथ ही भागवत कथा की पूर्णाहूति की गई।
कथा वाचक ने बताया कि आज मित्रता मात्र स्वार्थ पर आकर टिक गई है, लेकिन मित्रता का संबंध एक ऐसा संबंध है, जिससे बड़ा संबंध ना तो कोई है और ना ही होगा। मित्रता अपने आप में एक परिपूर्ण रिश्ता है, जैसी किसी भी वस्तु के लिए कोई भी स्थान नही होता है। भागवत में कृष्ण और सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए स्वयं कृष्ण ने इस संसार को सच्ची मित्रता का पाठ पढ़ाया है। कृष्ण के राजा होने के बाद भी वर्षो बाद सुदामा को पहचानना और उन्हें अपने समान आदर दिलवाना और प्रेम में चावल खा दो लोकों का राजपाठ देना सच्ची मित्रता को सार्थक करता है। परमहंस डॉ. रामप्रसाद महाराज के सानिध्य में परमहंस रामवल्लभ महाराज का बरसी महोत्सव मनाया गया जिसमें श्रद्धालु भक्त जनों ने समाधि पूजन किया। तीन जनवरी से परसराम महाराज की अनुभव वाणी का सत्संग शुरू होगा। वृन्दावन से आई कीर्तन मण्डली से अखण्ड हरिनाम संकीर्तन होता है जो दिन-रात अखण्ड होता है। कथा में उमा चौहान, गोपाल, कपिल, मदनलाल गहलोत आदि उपस्थित थे।