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Sunday, April 20, 2025

बेटे की मौत के बाद पूरे परिवार ने खोया मानसिक संतुलनप्रशासन नहीं ले रहा सुध, खाने के पड़े लाले

जोधपुर। पचास वर्षीय एक किसान के परिवार बेटे खोने का गम बर्दाश्त नहीं कर पाया। पांच वर्ष पहले हुए हादसे के कारण अब पूरा परिवार मानसिक रुप से संतुलन खो बैठा है। हालत यह है कि उनके पास खाने तक को कुछ नहीं है। आंगन में बूढी मां तेज सर्दी में ठिठुरती रहती है। कमर में फ्रैक्चर होने के कारण उठ कर खड़े होने में असमर्थ हैं। बेटी कभी क्लास में टॉपर थी अब किसी से बात तक नहीं करती, पत्नी परिवार का पेट पालने के लिए दुकान से झपट्टा मार कर खाने का सामान ले आती है। इस परिवार के पास 20 बीघा जमीन हैं। जहां खेती कर यह अपना पेट पालते थे लेकिन एक हादसे ने परिवार की दयनीय स्थिति कर दी। इस परिवार के घर के बाहर से कोई गुजरता है तो वह गाली गलौच करते है किसी को वहां आने नहीं देते। गांव वालों ने दया दिखाते हुए जैसे-तैसे खाने की व्यवस्था की। अब इलाज के लिए सालावास में सीएमएचओ कार्यालय में जानकारी दी। दो दिन से एंम्बुलेंस गांव में आती है इस परिवार से मिलती है और वापस निकल जाती है।गांव के समाजसेवी सुमेर बेनीवाल ने बताया कि लूणी के नंदवान गांव में 50 वर्षीय सुखाराम का परिवार रहता है। इनकी माली हालत पहले अच्छी थी। इनके पास बीस बीघा जमीन हैं जहां खेती बाड़ी करते थे। सुखाराम का एक बेटा भैराराम व एक बेटी उषा है। वर्ष 2018 में गांव के तालाब में सुखाराम का बेटा डूब गया था। अपने 14 वर्षीय बेटे के मरने का गम वह सहन नहीं कर पाया और तब से मानसिक संतुलन खो बैठा है। सुखाराम की बेटी 20 वर्षीय उषा बासनी स्कूल में क्लास टॉपर है। 12वीं में भी टॉप किया हैं लेकिन वह भी अब इस स्थिति में कि बोल नहीं सकती। वह किसी से बात नहीं करती। सुखाराम की 80 वर्षीय मां चलने में असमर्थ है। उसे दिखाई नहीं देता और उसके कमर में फ्रैक्चर होने से वह उठ नहीं सकती। घर के आंगन में ठंड में ठिठुरती रहती है। घर की यह स्थिति देख सुखाराम की पत्नी भी अपना मानसिक संतुलन खो चुकी है। वह मौहल्ले की दुकान से खाने का सामन छीन कर भाग जाती है। इस परिवार की दयनीय हालत देख कर उनके परिवार के अन्य सदस्यों को भी गांव वालों ने जानकारी दी लेकिन वह सुध नहीं लेते। आखिर गांव वालों ने सीएमएचओ कार्यालय को सूचना दी जिस पर सालावास डिस्पेंसरी से एंबुलेंस आई और वापस निकल गई। दो दिन से एंबुलेंस आ रही है लेकिन परिवार के इलाज के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण यह चाहते है कि प्रशासन इस परिवार की सुध ले और इलाज करवाए।

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