जोधपुर। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास केंद्र द्वारा मासिक विशिष्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत सातवें दिन कुलपति प्रोफ़ेसर (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने प्रिस्क्रिप्शन राइटिंग(औषधि नुस्खा लेखन) विषय पर अपना व्याख्यान दिया।
प्रो. प्रजापति ने अपने व्याख्यान में कहा कि प्रिस्क्रिप्शन लेखन एक आवश्यक और बुनियादी कौशल है, जिसे एक मेडिकल छात्र द्वारा अपने स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर प्रशिक्षण के समय हासिल किया जाता है, यह एक लिखित आदेश होता है जो मरीज को दी जाने वाली दवा के बारे में विस्तृत निर्देश देता है। स्नातक स्तर पर प्रिस्क्रिप्शन लेखन कौशल में कमी होने से स्नातकोत्तर छात्रों में भी प्रिस्क्रिप्शन लेखन में व्यापक कमी देखी जाती है। एक श्रेष्ठ चिकित्सक बनने के लिए मरीज़ का इलाज करते समय उसका पर्चा अच्छे से लिखना आना चाहिए। यह दवाओं का उचित और सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करता है। एक अच्छी तरह से लिखी गई प्रिस्क्रिप्शन न केवल मरीज की सुरक्षा सुनिश्चित करती है बल्कि उपचार की प्रभावशीलता भी बढ़ाती है। उन्होंने एक बेहतर प्रिस्क्रिप्शन लिखने के बारे में बताते हुए कहा कि प्रिस्क्रिप्शन में स्पष्टता और सटीकता होनी चाहिए,मरीज की जानकारी, औषधि का सही नाम, मात्रा, ख़ान-पान संबंधित दिशा-निर्देशों का समावेश होना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रिस्क्रिप्शन की शुरुआत उन दवाइयो से करना चाहिए जो ज़्यादा महत्वपूर्ण है।
दूसरे सत्र में एम्स जोधपुर के कम्यूनिटी मेडिसिन के सह आचार्य डॉ. सुमन सौरभ ने एपिडेमियोलॉजी ऑफ़ डायटरी रिस्क फैक्टर पर अपना व्याख्यान दिया। डॉ.सुमन ने अपने व्याख्यान में बताया कि आजकल के ज़्यादातर रोगों का कारण ग़लत ख़ान-पान ही हैं। भोजन जीवन का आधार है, लेकिन व्यस्त जीवनशैली की वजह से सही ख़ान-पान का नहीं कर पाना कई रोगों का कारण बन रहा है। एमएचआरडी निदेशक डॉ. राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर कुलसचिव प्रो.गोविंद सहाय शुक्ल, प्राचार्य प्रो.महेंद्र कुमार शर्मा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजाराम अग्रवाल, आयुर्वेद, होम्योपैथी, योग नेचुरोपैथी के सभी विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य स्नातकोत्तर अध्येता उपस्थित रहे।