जोधपुर। मथुरादास माथुर अस्पताल के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष आचार्य डॉ. रोहित माथुर ने पुर्तगाल के लिस्बोन शहर में आयोजित यूरोपियन सोसाइटी ऑफ़ कार्डियोलॉजी की हार्ट फेल्यर कांग्रेस में अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।
डॉ. माथुर ने बताया कि ये शोध कार्य आरनी ग्रुप की दवा सैक्युबिट्रिल-वालसारटन को लेकर मथुरादास माथुर अस्पताल में किया गया था। हृदय के बाएं निलय की कमजोरी के मरीज़ों (लेफ्ट वेंट्रिक्यूलर सिस्टॉलिक डिसफंक्शन) में सैक्युबिट्रिल-वालसारटन राम बाण दवा साबित हुई है, लेकिन ऐसे मरीज़ जिनका बायां निलय ठीक हो पर तकलीफ़ दाएं निलय के कारण हो (राइट वेंट्रिक्यूलर सिस्टॉलिक डिसफंक्शन विथ नार्मल लेफ्ट वेंट्रिकल) में अभी तक इस दवा पर कोई शोध नहीं हुआ है। भारत में ऐसे काफ़ी मरीज़ है जिनके हृदय का दायां भाग कमजोर है, जिसके कई कारण है जिनमे फेफड़ों की बीमारी धूम्रपान, टीबी, कोविड मुख्य है। इन मरीजों पर सैक्युबिट्रिल-वालसारटन का उपयोग कर पाया गया कि मरीजों की सेहत, चलने की क्षमता, खून में एनटी प्रो बीऐनपी तथा इको के पैरामीटर में काफ़ी सुधार पाया गया। डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज की प्रधानाचार्या और नियंत्रक डॉ. रंजना देसाई तथा मथुरादास माथुर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन किशोरिया ने हृदय रोग विभाग को नया शोध करने पर बधाई दी। डॉ. माथुर ने बताया कि सैक्युबिट्रिल-वालसारटन इन मरीजों के लिए भी वरदान साबित हो सकती है।