जोधपुर। धरती के नष्ट होते पर्यावरण को बचाने के लिये उठाए जा रहे चरण पर्याप्त परिणाम नहीं दे रहे हैं। परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग के हानिकारक प्रभाव अपना भयानक रूप से प्रकट कर रहे हैं। आज धरती के पर्यावरण के साथ सांस्कृतिक पर्यावरण में भी सुधार की आवश्यकता है, कलाकारों की जि़म्मेदारी बनती है कि नई पौध को इस प्रदूषण से बचाकर उन्हें स्वस्थ वातावारण देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। यह उद्गार राजस्थान संगीत नाटक अकादमी और राजकीय प्राथमिक विद्यालय आसोप की पोल की साझा मेजबानी में चल रहे बाल नाट्य प्रशिक्षण शिविर में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित नाट्य मंचन उपरान्त शिविर निर्देशक प्रमोद वैष्णव ने व्यक्त किए।
कार्यक्रम में चिकित्सा अधिकारी डॉ. काजल वर्मा ने मनुष्य के लिऐ प्राणवायु की उपयोगिता और वृक्षों द्वारा इसके उत्पादन के महत्व पर बतौर मुख्य अतिथि जानकारी दी। शिविर संयोजक एवं प्रधानाध्यापक रहमतुल्लाह खान ने बताया कि शिविर के बच्चों ने स्वयं नाट्य लेखन करके स्वयं के निर्देशन के साथ प्रस्तुतियां दी जिसमें रेहान बैलिम ने जैसे को तैसा, अलवीरा ने लालच, मनस्विनी वर्मा ने कहानी पेड़ की तथा अनवर-अल्फिया ने पछतावा नाटकों की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस 2024 के लिए भूमि बहाली, मरूस्थलीकरण और सूखे पर निर्धारित थीम पर आधारित बीज वक्तव्य देते हुए बलदेवनगर राजकीय विद्यालय के प्रधानाचार्य एवं शिक्षाविद् मज़ाहिर सुलतान ज़ई ने उपस्थित कलाकारों, अभिभावकों, आगंतुकों को पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण की शपथ दिलवाई। नाट्य प्रस्तुति में मंच व्यवस्था शोभा जोशी, दीप्ती गंगवानी ने संभाली।