जोधपुर। सन टू ह्यूमन फाउंडेशन के प्रणेता परम आलय ने कहा कि मन बहुत नाजुक है, इसलिए ये तेजी से सूक्ष्म तरंगों से कहीं भी जुड़ जाता है। मन की क्षमता अपार है, जिसका कोई ओर- छोर नहीं है। हमको इसका उपयोग करना या उसको दिशा देना नहीं आता, इसलिए घबरा जाते हैं। परम आलय शुक्रवार को यहां रेलवे स्टेडियम में आयोजित छह दिवसीय नए दृष्टिकोण वाले शिविर के अंतिम दिन शिविरार्थियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अमावस्या के बाद से पूर्णिमा तक के दिनों को उत्तरायण कहते हैं और इस अवधि में हम जो भाव प्रगाढ़ करेंगे, वो हमारे सभी भाव जीवन में बहुत गहरे उतर जाएंगे। सुबह-शाम हमें नाडिय़ों को जगाना वाला प्रयोग नियमित रूप से करना है, ताकि हमारा मन हमारे नियंत्रण में रहे। उन्होंने लार के महत्व के बारे में कहा कि हम जिस सूत्र का प्रयोग या अभ्यास करें, उस समय मुंह की लार को गहरे संकल्प के साथ नाभि तक पहुंचाने का प्रयास करें। संकल्प करें कि मेरी समझ कई गुना बढ़े। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि अपने बच्चों को अनुशासन सिखाने से पहले खुद अनुशासन में रहें। बच्चों को मोबाइल से दूर करने से पहले खुद इस लत से अलग हों। जो चीज हम बच्चों से चाहते हैं वो पहले खुद अपनाएं। हल्की चीजें नहीं अपनाएं, मुंह में हल्की चीजें न जाने दें, हल्की चीजें न देखे व न सुनें, वरना बच्चे दुगुने भाव से इन्हें अपनाएंगे।
उन्होंने कहा कि हम सभी प्रयास तो करते हैं, पर अधूरा प्रयास करते हैं। थोड़ा या कोई एक काम सीखो पर पूरा सीखो, ताकि अंजाम तक पहुंचा जा सके। हम हमारे शरीर में मौजूद 10 फीसदी चेतन मस्तिष्क का बिल्कुल भी उपयोग नहीं करते, जिससे हमारी समझ विकसित ही नहीं हो पाती। आज शिविर के अंतिम दिन हमें सभी को एक भाव को गहराई से संकल्प में लेना है कि हम कभी हल्के शब्दों पर ध्यान नहीं देंगे, बल्कि हमेशा ऊंचे व श्रेष्ठ शब्दों पर ही अपनी ऊर्जा को खर्च करेंगे, ताकि ऊंचाइयों की ओर बढ़ सके। हल्का देखेंगे तो घर में हल्की तरंगे आएंगी और बेहतर व अपने से श्रेष्ठ या ऊंचा देखेंगे तो वैसी ही तरंगे हमारे घर में रहेंगी। ये हमेशा ध्यान रखना, जिसके पास भूख है वो किस्मत वाला है और जिसके पास दुनियाभर का भोजन है और भूख गायब है, वो बहुत ही दुर्भाग्यशाली इंसान है। ठीक इसी तरह यदि आपके पास चारपाई या खटिया है और अच्छे से नींद आती है तो आप सौभाग्यशाली है, बड़े शानदार महल वाले के पास यदि नींद नहीं है तो उससे बड़ा दुर्भाग्यशाली कौन होगा भला? शिविर के अंतिम दिन शिविरार्थियों को नाभि झटका व विभिन्न सूत्रों का अभ्यास करवाया गया और साथ ही यहां से सीखे गए हर सूत्र व अभ्यास को अपने क्षेत्रों में अन्यों को सिखाने की अपील भी की गई।