जोधपुर। भगवान जगन्नाथ का प्राकट्योत्सव देव स्नान ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा पर शनिवार को श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस दौरान भीतरी शहर में सुनारों की घाटी स्थित करीब 350 साल से भी पुराने जगदीश मंदिर में भगवान जगन्नाथ का जल यात्रा महोत्सव मनाया। महोत्सव के तहत जगदीश मंदिर में भगवान जगन्नाथ गर्भ गृह से बाहर आए। गर्भ गृह के बाहर लाल कारपेट पर विश्राम कराते भगवान को बाहर लाया गया, जहां भक्तों ने भगवान के चरण स्पर्श किए। बाद में भगवान को गंगोत्री-यमुनोत्री, गंगाजल, नारियल जल व जड़ी-बूटियों से मिश्रित 108 कलश से शाही स्नान कराया गया। इस दौरान भगवान के साथ उनके भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा को भी शाही स्नान कराया गया।
पुजारी विरेन्द्र शर्मा और नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि दोपहर में भगवान का विशेष गणेश स्वरूप शृंगार और विशेष आरती की गई। इस अवसर पर मंदिर परिसर को फूलों और रंग-बिरंगी लाइटिंग से सजाया गया। उन्होंने बताया कि चार धामों में से एक जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा) से करीब 350 वर्ष पहले भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा की मूर्तियां लाकर जोधपुर में स्थापित की गई थी। भीतरी शहर में सुनारों की घाटी स्थित करीब 350 साल से भी पुराने जगदीश मंदिर में हर ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ का जल यात्रा महोत्सव मनाया जाता है। इसी परम्परा को कायम रखते हुए शनिवार को भगवान जगन्नाथ की जल यात्रा महोत्सव आयोजित किया गया।
जगन्नाथ यात्रा सात जुलाई को
सात जुलाई को विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा धूमधाम से निकाली जाएगी। रथ यात्रा का आयोजन मंदिर प्रांगण से 7 जुलाई को सुबह 8 बजे शुरू होकर मुख्य बजार होते हुए घंटाघर तक व घंटाघर से वापस मुख्य बाजार होते हुए मंदिर प्रांगण में आकर भगवान अपने सिंहासन पर विराजमान होंगे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अत्यधिक स्नान के कारण भगवान जगन्नाथ और दोनों भाई-बहन बीमार पड़ जाते हैं। इस कारण उनको एकांतवास में रखा जाता है, राजवैद्य उनका इलाज करते हैं। करीब 15 दिनों तक आराम करने के बाद भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन का अंतिम श्रृंगार के रूप में नेत्रदान संपन्न होगा।