जोधपुर। दिलीप नगर लालसागर स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में जोनल स्तर पर निंरकारी बाल समागम का आयोजन जयपुर जोन के जोनल इंचार्ज संत सुनील बाली के सान्निध्य में किया गया। समागम में बच्चों ने नाटकों, गीतों, नृत्य, विचारों, कविताओं, कव्वालियों आदि के माध्यम से प्रेम से मिलकर सेवा, संगत, सुमिरण एवं बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया। समागम का आयोजन जोधपुर जोनल इंचार्ज हरिमोहन गहलोत के मार्गदर्शन में किया गया।
इस अवसर पर संत सुनील बाली ने बाल समागम को सम्बोधित करते हुए कहा कि बाल संगत से जुडक़र ही बालक आध्यात्मिकता को सीखता हुआ वयस्क होता है तभी वह समाज, परिवार, देश के लिए सच्चा व्यक्ति साबित होता है। इतिहास भी इस बात का गवाह है कि भक्ति की कोई उम्र नहीं होती, जैसे भक्त प्रहलाद एवं ध्रुव ने भी बाल अवस्था से ही आध्यात्मिकता को अपनाया। उन्होंने कहा कि परिवार का माहौल बच्चे के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है।अत: जो माता पिता स्वयं संगतों में आकर गुरुमत की शिक्षाओं को अपनाए हुए है, उनके जीवन का प्रभाव उनके बच्चों पर अवश्य पड़ता है। इसलिए अभिभावकों को बच्चों के सामने भक्ति से मर्यादित जीवन का उदाहरण पेश करने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि जैसे एक सुई पानी में डूब जाती है जबकि लकड़ी के बडे-बडे ल_े पानी में तैरते रहते है क्योंकि लकड़ी को पानी ने पाला पोसा है इसलिए वह लकड़ी को कभी डूबने नहीं देता है। ठीक वैसे ही जो बच्चे सत्संग से जुड़े होते है तो उन्हे गुरु की शिक्षाएं संसार की कुरीतियों से बचाए रखती है। आज हर माता पिता चाहते है कि उनके बच्चें न केवल हर क्षेत्र में उनसे आगे बढ़े बल्कि सद्गुणों से युक्त मर्यादित जीवन भी जीयें। जिससे बच्चों का ही नहीं, उनके माता पिता का भी जीवन सुखी हो।