जोधपुर। यूनिवर्सिटी ऑफ टैक्सास यूएसए में एशियाई अध्ययन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दलपत सिंह राजपुरोहित के आतिथ्य में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण में हिंदी का व्यावहारिक ज्ञान तथा वैश्विक परिदृश्य राजभाषा कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यालय अध्यक्ष डॉ. एसएल मीना द्वारा डॉ. दलपत सिंह राजपुरोहित तथा डॉ. प्रेमसिंह राजपुरोहित का स्वागत अभिनंदन किया गया। डॉ. दलपत सिंह राजपुरोहित ने कहा कि हिंदी का चरित्र राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय हो चुका है तथा वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित हो रही है। हिंदी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैश्वीकरण इस प्रकार से हुआ है कि हिंदी ने वैश्विक भाषाओं के शब्दों को अपने शब्द-कोष में समाहित करके विस्तार कर लिया है। अमेरिका के लगभग आठ विश्वविद्यालयों में हिंदी का अध्ययन करवाया जा रहा है। हिंदी राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीयों को जोडऩे के लिए एक पुल का काम करती है। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रेम सिंह राजपुरोहित ने हिंदी के राजकीय कार्यों में प्रयोग पर बात रखते हुए बताया कि सरकार की योजनाएं आम जनता के लिए होती है और आम जनता हिंदी या अपनी स्थानीय भाषा को बेहतर समझती है। कार्यक्रम का समन्वय तथा संचालन राजभाषा अधिकारी डॉ. विनीत कुमार रावत तथा कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी उदयवीर श्रीवास द्वारा किया गया। वैज्ञानिक डॉ. रवि किरण अरिगेला द्वारा धन्यवाद दिया गया। इस राजभाषा कार्यशाला में जगदीश यादव, डॉ पुरुषोत्तम डेरोलिया, रमेश कुमार, अमित कुमार, भोमाराम, मुकेश गोयल, रणजीत मेघवाल, सौरभ कुमार, जसपाल सिंह, हर्षित कुलश्रेष्ठ, बिट्टू कुमारी, रतनलाल, लिखमाराम, गणपत लाल सहित विभिन्न अधिकारियों और कर्मचारियों ने सहभागिता की।