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Monday, January 20, 2025

संवेदना के बिना शायरी कहना सम्भव नहीं: निज़ामसृजना का यात्रा अनवरत- 2 कार्यक्रम

जोधपुर। डॉ मदन सावित्री डागा साहित्य भवन में शायर शीन काफ़ निज़ाम सूर्यनगरी की साहित्यिक बिरादरी से रूबरू हुए। सृजना द्वारा इंटरव्यू की शैली में आयोजित यात्रा अनवरत- 2 कार्यक्रम जोधपुर की साहित्यिक दुनिया के लिए भी एक नया अनुभव था।
निज़ाम ने भी इस नए कलेवर में बेतकल्लुफ़ी से अपनी बातें करते हुए कहा कि संवेदना के बिना शायरी कहना सम्भव नहीं होता और जो बात शायरी कहती है, वह फ़लसफ़ा नहीं कहता। पूरा साहित्य दरअसल छुपाने का आर्ट है। जिस साहित्य को छुपाने का आर्ट नहीं आता, उसे बताने का आर्ट भी नहीं आता। उन्होंने कहा कि दुनिया के तमाम पदार्थों की अपनी सृजनशक्ति होती है। ईश्वर इस सृजन में कैटेलिस्ट का कार्य करता है। यह समस्त एकांत का सृजन है। अत: यह एकांत भी अकेला नहीं है। साहित्य हमें अकेले होने का हुनर सिखाता है। निज़ाम ने कहा कि एक शायर अपने समय, कलेवर और दर्शन को रचता है। यह कलेवर उसे माइथोलॉजी से मिलता है। मसलन भारत में पेड़ नहीं काटने का कारण है कि पेड़ में भी जीव होता है। इसलिए पेड़ काटना जीव हत्या है। जबकि विदेशों में पेड़ नहीं काटना इकोलॉजी के कारण है। इसलिए हकीकत यह है कि माइथोलॉजी के बिना साहित्य का कोई वज़ूद ही नहीं है। ऐसी शायरी करना खुद को पहचानना है और गज़़ल खुद को गुनगुनाना है। कार्यक्रम में राजेश कल्ला, राजेन्द्र माथुर, हरीदास व्यास आदि ने सवाल पेश किए। सृजना अध्यक्ष सुषमा चौहान ने सभी का आभार जताया।

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