जोधपुर। सांस्कृतिक संस्थान संगीत किसलय द्वारा सुंदर मां सरस्वती मंदिर प्रांगण में चल रहे संगीत अभ्यास में साधकों की तैयारी को पंडित सतीश चंद्र बोहरा ने नजदीक से देखा।
संगीत अध्यापक अखिल बोहरा ने बताया कि इस दौरान उन्होंने साधकों को गुरु के महत्व को समझाते हुए इस गुरु पूर्णिमा को संगीत के गुरु को बनाने का तरीका समझाया और कहा कि सोशल मीडिया से संगीत शिक्षा संभव नहीं है। सोशल मीडिया मात्र आकर्षण दे सकता है लेकिन कोई भी विषय की शिक्षा नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि संगीत के मुख्य तीन स्वरूप गायन, वादन व नृत्य है। संगीत के इन स्वरूपों को भी जानने के लिए मुख्य तीन बातें ताल, लय व स्वर को जानना जरूरी है। जो व्यक्ति संगीत के इन तीन स्वरूपों की प्रायोगिक जानकारी रखते हैं वह अध्यापक या गुरु बनते हैं। जो व्यक्ति इन तीन स्वरूपों की प्रायोगिक जानकारी तो रखते हैं लेकिन किसी एक विषय में वह प्रदर्शनकारी बनते हैं तो वह कलाकार कहलाते हैं।