जोधपुर। पैगम्बर हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हसन-हुसैन सहित करबला के शहीदों की याद में बुधवार को शहर में मोहर्रम पर्व अकीदत से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर शहर के कई स्थानों पर आस्था के प्रतीक ताजिये खड़े किए गए है जिन्हें रात को उतार लिया जाएगा। इन ताजियों के आसपास आज दिनभर मेले जैसा माहौल बना रहा। ताजियों पर अकीदत के फूल पेश करने के लिए मुस्लिम समाज के लोग उमड़ पड़े। यहां शीरीनी चढ़ाई गई और छबील लगाकर शरबत पिलाया गया। साथ ही हलीम बनाकर बांटा गया।
मोहर्रम एकता कमेटी के अध्यक्ष उस्ताद हाजी हमीम बक्ष ने बताया कि शहर में जगह-जगह खड़े ताजिए आज देर रात तक खड़े रहेंगे। शहर के बम्बा मोहल्ला, उम्मेद चौक, गुलजारपुरा, लायकान मोहल्ला, मोती चौक, उदयमन्दिर, सोजतीगेट, लखारों का मोहल्ला सहित कई विभिन स्थानों पर ताजियों को मुकाम पर खड़ा किया गया है। तमाम मुस्लिम बाहुल्य इलाकों मे शहादत ए शहीदे इमाम हुसैन की याद मे मस्जिदों मे तकरीरों का आयोजन के साथ हजरते इमाम हुसैन की याद में दलीम, शर्बत, खीर, दलिया चावल व अन्य सामग्री बनाकर लोगों में तकशीम कर बांटी जा रही है। देर रात मोहर्रम अपने-अपने स्थान से उतार लिए जाएंगे और उनको अपने मुकाम पर रख दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि आज सवेरे से ही ताजियों के सामने मन्नत मांगने का सिलसिला शुरू हो गया। छोटे बच्चों को नजर नहीं लगे इसके लिए ताजियों के नीचे से निकालकर उनकी बीमारियों को दूर करने, लम्बी उम्र व खुशहाली की दुआ मांगी गई। इस मौके पर कौमी एकता, भाईचारा और सद्भाव भी नजर आया। मुसलमानों के साथ ही गैर मुस्लिमों ने भी अच्छी सेहत और दीर्घायु के लिए अपने बच्चों को ताजिये के नीचे से निकालने की परंपरा कायम रखी। ताजिये के पास लाइसेंसधारी अखाड़े के उस्तादों की सरपरस्ती में करतब दिखाए गए। युवाओं की ओर से करबला के शहीदों के नारे अली का लश्कर था इमाम या हुसैन, नाका ए तकबीर अल्लाह हो अकबर लगा कर माहौल में जोश भरने के साथ गमगीन बनाया गया।
मुस्लिम मोहल्लों में ताजियों पर आज अकीदत के फूल पेश करने वालों का तांता लगा रहा। इन इलाकों में छबील की व्यवस्था की गई। इसके साथ ही हलीम बनाया गया जो सात अन्न से तैयार किया जाता है। बता दे कि शहीदें करबला के तमाम शहीदो की याद मे चांद की 9 व 10 तारीख को रोजा रख कर उन्हें याद किया जाता है। उनके हक मे दुआएं ए मगफिरत की जाती है। जगह-जगह लंगर ए हुसैनी में हलीम, दलिया चावल, खीर, शर्बत तकसीम किया जाता है। जोधपुर में ताजियों का जुलूस नहीं निकलता। यहां ताजिये एक ही स्थान पर खड़े रहते है और फिर उन्हें करबला में दफना दिया जाता है। ताजियों को बड़ी ही खूबसूरती के साथ सजाया गया है।