जोधपुर। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति के मुख्य आतिथ्य में पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेद के सभागार में राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग नई दिल्ली द्वारा स्नातकोत्तर छात्रों के मार्गदर्शक (गाइड) शोध एवं कौशल संवर्धन से संबंधित तीन दिवसीय वैज्ञानिक लेखन, शोध अखंडता और प्रकाशन नैतिकता विषय पर विशिष्ठ कार्यशाला का उद्घाटन हुआ।
कुलपति प्रोफ़ेसर (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने अपने संबोधन में कहा कि पीजी गाइड के शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए यह कार्यशाला एनसीआईएसएम नई दिल्ली द्वारा आयोजित की गई है। इस वर्कशॉप से पीजी अध्येताओं के मार्गदर्शकों के शोध एवं अनुसंधान कौशल के विकास में अतिमहत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने हाउ टू राइट एंड हाउ टू पब्लिकेशन पर ज़ोर देते हुए कहा कि इस वर्कशॉप में सिखाये जाने वाले ज्ञान से पीजी छात्रों के गाइड संस्थान में किए जाने वाले शोध कार्यों को विश्व पटल पर वैज्ञानिक पैरामीटर्स पर प्रस्तुत कर सकेंगे। स्नातकोतर अध्येताओ को गुणवत्तापूर्ण रिसर्च प्रपोजल प्रस्तुत करने चाहिए जो राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित हो। कुलसचिव प्रोफ़ेसर गोविंद सहाय शुक्ल ने बताया कि समसामयिक रूप से स्वयं को अपडेट करने के लिए इस प्रकार के वर्कशॉप होने चाहिए। तीन दिन तक सीखे गए ज्ञान को पीजी गाइड के रूप में अपने व्यवहार में लाना होगा। कार्यशाला समन्वयक प्रो. देवेंद्र चाहर ने बताया कि पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च गाइड ओरिएंटेशन कार्यशाला मे उत्तराखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात के आयुर्वेद संस्थानों, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर, मदन मोहन मालवीय आयुर्वेद महाविद्यालय उदयपुर, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेद जोधपुर,टाटिया विश्वविद्यालय गंगानगर के 57 पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च गाइड प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे।
पहले दिन हुए दो सत्र
कार्यशाला के प्रथम सत्र में डॉ किरण तलवड़े ने स्टडी डिज़ाइन एवं रिसर्च एथिक विषय पर दो व्याख्यान दिये। दूसरे सत्र में आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून के उमापति बारगी ने साइंटिफिक पब्लिकेशन विषय पर दो व्याख्यान दिए। साथ ही चौधरी ब्रह्म प्रकाश चरक आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली के अनुसंधान विशेषज्ञ डॉक्टर पूजा सबरवाल ने अनुसंधान विषयक व्याख्यान दिया।