जोधपुर। भैरूबाग जैन श्वेतांबर तीर्थ में चल रहे रहे चातुर्मासिक प्रवचनों के दौरान धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य तत्वदर्शन सूरिश्वर ने कहा कि मन का भूगोल बदले बिना जीवन का इतिहास बदलना नामुमकिन है। जीवन में परिवर्तन लाने के लिए मन पर अंकुश लगाना अतिआवश्यक है।
उन्होंने कहा कि मन शैतान है पाप का बचाव करता है। मन बदनसीब है। हमेशा हल्के विचार करता है। मन धर्म नही करने के निरंतर बहाने ढूंढ़ता रहता है। इसलिए मन पर नियंत्रण करना आवश्यक है। आचार्य ने कहा कि मन की प्राप्ति कर्म से एवं समाप्ति धर्म से है। उन्होंने कहा कि अवसर्पिणी काल में पीढ़ीदर पीढ़ी सहनशीलता का निरंतर अभाव होता जा रहा है। क्रोध मानो अपनी प्रचंडता लिए हुए है। कठोर वचन सहन करने की तो शक्ति ही क्षीण हो गई है। उन्होंने कहा जिसके घर प्रभु की भक्ति, आराधना एवं सुबह से लेकर शाम तक भी किसी का भी आतिथ्य सत्कार नही, पशु को रोटी नहीं, अभावग्रस्त की सहायता एवं जरूरतमंद भूखे को भोजन नहीं वह घर शमशान जैसा है। तीर्थ के प्रवक्ता दिलीप जैन एवं सचिव जगदीश गांधी ने बताया कि तत्वदर्शन सूरिश्वर ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सुपात्र दान की महत्ता से भी अवगत करवाते हुए दृष्टांत के माध्यम से विस्तार से वर्णन किया। धर्म सभा में गणेश भंडारी, आदेश्वर जैन, सुनील सिंघवी, सुपाश्र्व भंसाली, किशोरराज सिंघवी एवं हेमंत लोढ़ा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।