जोधपुर। भैरू बाग पाश्र्वनाथ जैन श्वेतांबर तीर्थ में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य तत्वदर्शन सूरिश्वर ने कहा कि मनुष्य रूप में शरीर हमे उपासना के लिए मिला है। वासना के लिए नहीं। हमें अनमोल मनुष्य जन्म का उपयोग धर्म में रत रहते हुए करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि शरीर को चाहे जितना सजा लो दुर्गंध ही आएगी। इस पुद्गल का तो विनाश होना निश्चित है। आत्मा ही अजर एवं अमर है। आत्मा को स्वच्छ करने के लिए मन, वचन एवं काया से स्वच्छ होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि काया के पाप से ज्यादा वचन का पाप तथा वचन से ज्यादा मन का पाप लगता है। आचार्य ने कहा कि हम संसार एवं शरीर के स्वभाव का परिवर्तन नही कर सकते।अपनी इच्छाओं पर अंकुश लगाओगे तो मन तपस्वी, त्यागी एवं प्रसन्नचित हो जायेगा। उन्होंने कहा उदासीनता कर्म बंधन एवं प्रसन्नता कर्म निर्जरा का कारण है। करण के पाप से ज्यादा अधिकरण का, अधिकरण से ज्यादा अनुकरण का तथा अनुकरण से ज्यादा अंत:करण से महापाप लगता है।
तीर्थ के प्रवक्ता दिलीप जैन एवं सचिव जगदीश गांधी ने बताया कि शुक्रवार को पारसमल रायचंद एवं महावीरचंद भंसाली परिवार की ओर सिद्धि तप के आराधकों को सामूहिक उत्तर पारणा तथा शनिवार को सिद्धि तप के आराधकों को दिव्य तपस्वी आचार्य हंसरत्न सूरिश्वर के मुखारविंद से भैरू बाग तीर्थ में सामूहिक प्रथम प्रतख्यान दिलाए जाएंगे। धर्म सभा में गणेश भंडारी, किशोरराज सिंघवी, आदेश्वर जैन सुपार्श्व भंसाली, कैलाश पटवा एवं कैलाश मेहता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।