जोधपुर। भगवा ध्वज सदियों से भारतीय संस्कृति और परम्परा का श्रद्धेय प्रतीक रहा है। जब डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शुभारम्भ किया तभी से उन्होंने इस ध्वज को स्वयंसेवकों के सामने समस्त राष्ट्रीय आदर्शों के सर्वोच्च प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया और बाद में व्यास पूर्णिमा के दिन गुरु के रूप में भगवा ध्वज के पूजन की परम्परा आरंभ की गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महानगर प्रचारक हार्दिक ने विवेक विहार छात्रावास सरदारपुरा में आयोजित गुरु पूजन निमित स्वयंसेवक एवं कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि जब डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रवर्तन किया तब अनेक स्वयंसेवक चाहते थे कि संस्थापक के नाते वहीं संगठन के गुरु बने क्योंकि उन सबके लिए डॉ. हेडगेवार का व्यक्तित्व अत्यंत आदरणीय और प्रेरणादायी था। उन्होंने कहा कि इस आग्रह पूर्ण दबाव के बावजूद डॉ. हेडगेवार ने हिंदू संस्कृति, ज्ञान, त्याग और सन्यास के प्रतीक भगवा ध्वज को गुरु के रूप में प्रतिष्ठित करने का निर्णय किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हर साल जिन छह उत्सवों का आयोजन करता है उसमें गुरु पूजा कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में विवेक विहार छात्रावास सरदारपुरा में प्रमुख विष्णु जांगिड़ के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने प्रारंभ में गुरु पूजन कर राष्ट्रीय हित में कार्य करने का संकल्प लिया।