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Monday, December 23, 2024

विवेकपूर्ण निर्माण की प्रतिमूर्ति थी अहिल्याबाई: जोशीपुण्यश्लोका अहिल्याबाई त्रिशताब्दी जयंती समारोह: मातृशक्ति गोष्ठी का आयोजन

जोधपुर। महानगर में आज पुण्यश्लोका अहिल्याबाई त्रिशताब्दी जन्म जयंती समारोह समिति द्वारा मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर में प्रबुद्ध मातृशक्ति गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य पुण्यश्लोका अहिल्या बाई होल्कर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में उनके जीवन और कार्यों को स्मरण कर समाज तक पहुंचाना था।
कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता एवं देवी अहिल्या माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलन से हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व महारानी हेमलता राजे ने की, जिन्होंने महारानी अहिल्याबाई के संघर्ष और उनके योगदान को रेखांकित किया। मुख्य अतिथि जेएनवीयू के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. सरोज कौशल ने भी समाज में नारी शक्ति की भूमिका पर जोर दिया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैया जोशी रहे। उन्होंने अहिल्या देवी के प्रेरणादायी जीवन को सबके सामने रखते हुए, उनके द्वारा किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अहिल्या देवी के जीवन को सामान्य महिला की असामान्य जीवन यात्रा बताया। एक सामान्य परिवार से राजपरिवार के शासनकाल में उन्होंने भारत के प्रसिद्ध मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया जिसमें काशी का विश्वनाथ मंदिर, रामेश्वरम,सोमनाथ मणिकर्णिका घाट विशेष हैं। विश्व प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी उन्हीं की देन है। अहिल्या बाई एक कुशल प्रशासनिक, आर्थिक नियोजन कर्ता के साथ स्वयं योद्धा भी थी। वह विवेकपूर्ण निर्माण की प्रतिमूर्ति थी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की गोष्ठियों से समाज में प्रेरणा और जागरूकता का संचार होता है, और महारानी अहिल्याबाई होल्कर जैसी महान विभूतियों के जीवन से हमें सीखने का अवसर मिलता है। कार्यक्रम में महिला समन्वय की अखिल भारतीय संयोजिका मीनाक्षी ताई पेशवे, जोधपुर प्रांत संघचालक हरदयाल वर्मा उपस्थित रहे। अंत में पुष्पा जांगिड़ ने धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन ममता सोनी द्वारा किया गया।

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