जोधपुर। जन कल्याण के उद्देश्य से श्रावण मास के पावन अवसर पर कुड़ी हाउसिंग बोर्ड सेक्टर एक ब्लॉक बी पार्क में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक श्री धाम वृन्दावन के पं. दामोदरदास महाराज ने शुकदेव मुनि जन्म, परीक्षित श्राप और अमर कथा का वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि जब भगवान शंकर पार्वती को अमर कथा सुनाने लगे तो शिव-पार्वती के अलावा सिर्फ एक तोते का अंडा था जो कथा के प्रभाव से फूट गया उसमें से शुकदेवजी का प्राकट्य हुआ। कथा सुनते सुनते पार्वती सो गई और वह पूरी कथा शुकदेव जी ने सुनी और अमर हो गए। भगवान शंकर शुकदेव जी के पीछे उन्हें मृत्युदंड देने के लिए दौड़े। शुकदेव जी भागते भागते व्यासजी के आश्रम में पहुंचे और उनकी पत्नी के मुंह से गर्भ में प्रविष्ट हो गए। बारह वर्ष बाद शुकदेव जी गर्भ से बाहर आए इस तरह शुकदेव जी का जन्म हुआ। महाराज ने बताया कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। महाराज ने कहा कि भागवत के चार अक्षर का तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है।