खेरादियो का बास स्थित श्री राजेन्द्र सूरि जैन ज्ञान मंदिर त्रिस्तुतिक पौषधशाला में साध्वी कारुण्य लता श्री ने धर्म सभा में बताया कि संसार की समस्त संपदाओं की प्राप्ति दया धर्म के पालन से होती है। उन्होंने कहा कि जिसका हृदय दया से भरा हुआ है, उसके हृदय में समस्त गुण रहते हैं। किसी प्राणी को मारने-सताने से ही पाप नहीं होता, बल्कि उस जीव को मारने का विचार आने से भी पाप लगता है। अपने संबोधन में साध्वी श्री ने कहा कि दूसरों को सताना या मारना कभी धर्म नहीं हो सकता। जो व्यवहार स्वयं को पसंद नहीं, वह दूसरों के साथ न करना ही व्यवहारिक धर्म है। जो व्यक्ति दूसरे जीवों को मारने या सताने में धर्म मानता है, वह समझो अग्नि को शीतल मानता है, जबकि यह कभी संभव नहीं हो सकता। साध्वी श्री ने कहा कि जैसे जल में ही कमल खिलता है अग्नि में नहीं, वैसे ही धर्म दया में है हिंसा में नहीं। जो हिंसा का त्याग करके दया का पालन करता है वही धर्म प्रिय होता है।
संघ सदस्य महावीर बागेरचा ने बताया कि शुक्रवार को प्रभु श्री नेमीनाथ भगवान के जन्म कल्याणक पर शक्रस्तव अभिषेक, अष्ट प्रकार की पूजा, आरती के साथ साध्वी श्री द्वारा गिरनार महातीर्थ की गौरव गाथा एवं सामूहिक उपवास तप की आराधना रखी गई है।
वर्षा की व्यापकता के बावजूद धर्म सभा में जिनवाणी श्रवण के लिए बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। इनमें धर्मेन्द्र वेदमुथा, हीराचंद भंडारी, गौतम खींवसरा, हुक्मीचंद-ललित सालेचा, कलावती बागरेचा, शांता-कमला-चम्पा-चंद्रकला भंडारी, सुगन वेदमुथा, प्रिय चंडालिया, विमला बाफना, रेणु सदायत, चंदन सेठ आदि प्रमुख थे। धर्म सभा की समाप्ति पर अशोक भंसाली द्वारा संघ पूजा और प्रभु गुरुदेव की आरती पारस पोरवाल परिवार द्वारा की गई।