बालोतरा
सिर पर किताबों से भरा स्कूल बैग रखकर एक-एक कदम भरते हुए 4 फीट गहरे पानी में करीब 20 से 25 फीट तक गुजरना, फिर आधा घंटा धूप में खड़े रहकर पहनी हुई स्कूल ड्रेस सुखाना और फिर स्कूल से लौटने वक्त फिर से वही कवायद करना। यह रोज की दिनचर्या बन गया है सिणली जागीर के आस-पास की ढाणियों में रहकर सीनियर स्कूल सिणली में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की।
विद्यार्थियों को जब तक कि एनिकट का पानी उतर ना जाए तब तक ऐसे ही जाना पड़ेगा। यह समस्या 10-12 वर्ष पहले शुरू हुई, जब सिणली जागीर सरहद में कलस्टर योजना से बारिश का पानी रोकने के लिए एनिकट बनवाया गया। एनिकट बना तो ग्रामीण खुश हुए कि बारिश का पानी व्यर्थ ना बहकर सहेजा जाएगा तो फायदा मिलेगा, लेकिन इसके साथ ही सड़क जाम की नई समस्या पैदा हो गई। इसका आसान समाधान पीडब्ल्यूडी के पास है, लागत भी इतनी ज्यादा नहीं, मगर पिछले 10 साल से ना पीडब्ल्यूडी अधिकारी सुन रहे हैं और ना ही नेता। इसका खामियाजा स्थानीय ग्रामीण भुगत रहे हैं।
जानकार बताते हैं कि जहां दो जगह सड़क पर पानी भर जाता है, वहां चार-चार पाइप डालकर छोटे पुलिया बना दिए जाएं तो आवागमन रुकेगा नहीं। इसके लिए विधायक, प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर जिम्मेदार पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को ग्रामीणों ने कई बार मिन्नतें की, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।