खेरादियो का बास स्थित श्री राजेन्द्र सूरि जैन ज्ञान मंदिर त्रिस्तुतिक पौषधशाला में आयोजित नौ दिवसीय नमस्कार महामंत्र तप आराधना की पारणे के साथ पूर्णाहुति संपन्न हुई। इस अवसर पर तप धारकों को संबोधित करते हुए साध्वी कारुण्य लता श्री ने कहा कि तपस्या जिन शासन की महिमा, गरिमा और प्रभाव को बढ़ाने वाला अद्भुत कार्य है। उन्होंने कहा कि तप वही कर सकता है, जो अपनी रसनेंद्रिय यानी जीभ पर नियंत्रण कर सके। तपस्या से मन, वचन और काया की पवित्रता और निर्मलता में वृद्धि होती है। साध्वी जी ने आगे कहा कि तपोधर्म का आचरण परमात्मा स्वयं ने भी अपने जीवन में किया था, जिससे वे कर्मों की निर्जरा कर मोक्ष को प्राप्त कर सके। जीवन में मन को निर्मल बनाने और कर्मों की निर्जरा के लिए तप अत्यंत महत्वपूर्ण है।
संघ तप समिति के सदस्य कमल बाफना और हस्तीमल भंसाली ने बताया कि इस नौ दिवसीय आराधना में 68 पाटलों पर नमस्कार मंत्र यंत्र रखकर 108 नमस्कार महामंत्र का घोष जाप, 14 घंटों तक निरंतर मौन जाप, और शहीदों की स्मृति में 160 संघ सदस्यों द्वारा बारह नमस्कार महामंत्र का सामूहिक जाप किया गया। इसके अलावा, 68 जैन तीर्थों की भाव यात्रा कार्यक्रम के तहत कुल 6,80,000 से अधिक नमस्कार मंत्रों का जाप किया गया। आराधकों ने 252 एकासने का तप, तीन हजार प्रदक्षिणा और स्वास्तिक बनाए।
तपस्या की पूर्णाहुति पर सदायत परिवार द्वारा पारणे का आयोजन किया गया, जबकि संघ की ओर से पारस पोरवाल, महेन्द्र सुराणा, चंदन सेठ और मंजु भंडारी ने तपस्वियों का बहुमान किया। संघ प्रभावना का लाभ सुगन कंवर वेदमुथा ने लिया, और मंगल आरती का लाभ पृथ्वीराज भंडारी परिवार ने प्राप्त किया।