खेरादियो का बास स्थित श्री राजेन्द्र सूरि जैन ज्ञान मंदिर त्रिस्तुतिक पौषधशाला में साध्वी कारुण्य लता श्री ने अपने प्रवचन में बताया कि जैन दर्शन के अनुसार भय की वजह हमारे कर्म है. हमारे पिछले या वर्तमान कर्म, विचार गलत होंगे, तो भय होगा ही. भय होगा, तो विद्वेष और शत्रुता भी बनी रहेगी. भय कई प्रकार के होते हैं बीमारी, असुरक्षा, किसी बात के खुल जाने, नुकसान होने का भय होता है, पर सबसे बड़ा भय मृत्यु का होता है। सुरक्षा के लिए लोग हथियार खरीदते हैं, यह दूसरे में भय पैदा करता है। उसे असुरक्षा दिखती है, तो वह भी हथियार खरीदता है। इस प्रकार हथियारों की होड़ शुरू हो जाती है। हर हथियार के जवाब में उससे बड़ा हथियार जमा किया जाता है। वहीं जैन दर्शन कहता है कि अशस्त्र होने का कोई जवाब नहीं हो सकता। इसी तरह समाज हिंसा मुक्त हो सकता है। भयमुक्त होने के लिए अपने कर्मों पर ध्यान दें। अनैतिक कर्म होगा, तो भय होगा ही।
गुरुदेव के मांगी तुंगी पर्वत पर साधना निमित्त तप ३४ वे दिन जारी हैं, इस तप में अट्ठम आयम्बिल व एकासना की तपस्या निरंतर जारी है, जो ७२ दिन चलेगी.
प्रवचन का समापन मंगल आरती के साथ हुआ जिसका लाभ अंजना सेठ परिवार ने एवं संघ प्रभावना का लाभ कानराज बंदामुथा परिवार ने लिया ।