अच्छे और सच्चे मित्र की पहचान यही है कि वह दुख, मुसीबत में जो भी बन पड़े अपने मित्र, संबंधी की सहायता के लिये तत्पर रहे। शास्त्रों में भी कहा गया है कि विपत्ति के समय जो सहायक हो वही सच्चा मित्र होता हैं. खेरादियो का बास स्थित श्री राजेन्द्र सूरि जैन ज्ञान मंदिर त्रिस्तुतिक पौषधशाला में साध्वी कारुण्य लता श्री ने धर्म सभागार में इस विषय पर बताया कि श्री राम को सीता की खोज करनी थी और सुग्रीव को अपना राज्य और पत्नी वापस प्राप्त करनी थी. बाली से युद्ध के लिए सुग्रीव को श्रीराम की जरूरत थी और श्रीराम को सीता की खोज के लिए वानर सेना की जरूरत थी. दोनों ने मित्रता करके एक-दूसरे की मदद करने का संकल्प लिया. उन्होंने कहा सच्चा मित्र विश्वास करने योग्य, सही मार्ग बताने वाला, निष्कपट प्रेम करने वाला, सच्ची सहानुभूति वाला होना चाहिए जिससे वह हमारे हानि लाभ को अपना हानि-लाभ समझे और हम उसके हानि-लाभ को अपना। तात्पर्य यह है कि सच्ची मित्रता में सच्चा स्नेह होना चाहिए.
तप आराधना समिति सदस्य सुरेश लूँकड़ व मंजु बोहरा-लूँकड़ ने बताया कि राजेन्द्र भवन की स्थापना के 50 वर्ष के इतिहास में प्रथम बार मोक्ष दंड की तपस्या एवं गुरूदेव श्री द्वारा मांगी-तुंगी पर्वत पर 72 दिवस की तपस्या व आराधना के प्रतीक रूप में की जा रही तपस्या आज ४० वे दिन भी निरंतर जारी रहीं.
संघ प्रभावना का लाभ रणजीत पारख एवं मंगल आरती का लाभ गौतम खीवसरा परिवार ने लिया.