जोधपुर। विश्व स्क्रिजोफ्रेनिया दिवस के उपलक्ष में मथुरादास माथुर अस्पताल के मनोविकार केन्द्र में सेमिनार हॉल में मरीजों एवं उनके परिजनों के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमडीएम हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. नवीन किशोरिया ने कहा कि स्वास्थ्य का अर्थ केवल रोग या अशक्तता का ना होना मात्र नहीं है अपितु किसी व्यक्ति की पूर्णता के लिए उसका मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य। उन्होंने कहा कि मानसिक संतुलन से ही कोई व्यक्ति प्रभावी एवं सार्थक जीवन जी सकता है। मानसिक रोग को अन्य शारीरिक रोगों की तरह ही देखा जाना चाहिए और मानसिक रोगों की वास्तविकता के संबंध में जागरूकता फैलाई जानी चाहिए। स्क्रिजोफ्रेनिया भी एक गंभीर मानसिक बीमारी है, जिसका वर्तमान समय में अच्छा उपचार संभव है।
मनोविकार केन्द्र के विभागाध्यक्ष व आचार्य डॉ. संजय गहलोत ने बताया कि वर्तमान में विश्व में लगभग 2 करोड़ से ज्यादा व्यक्ति स्क्रिजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रस्त है। यह एक ऐसी बीमारी है जो आदमी के सोचने, समझने और काम करने की शक्ति को बुरी तरह प्रभावित करती है। रोगी वास्तविक और काल्पनिक अनुभव में फर्क नहीं कर पाता है। रोगी तर्कसंगत तरीके से सोच नहीं पाता है, सामान्य भावनाएं प्रकट नहीं कर पाता है तथा समाज में उचित व्यवहार नहीं कर पाता है। उन्होंने बताया कि सौ व्यक्तियों में से एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में स्क्रिजोफ्रेनिया से पीडि़त हो सकता है। यह रोग किसी को भी हो सकता है भले ही उसकी जाति, संस्कृति, लिंग, उम्र या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो। उपचार के सम्बन्ध में उन्होंने बताया कि उपचार का सबसे उत्तम तरीका बहुमुखी आधार वाला है जिसमें चिकित्सालय उपचार, या मनोरोग उपचार एवं सामाजिक पुनर्वास शामिल है। दवाई से उपचार इस कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण अंग है।
सहायक आचार्य डॉ. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि सामाजिक पुनर्वास रोगी के लिए महत्वपूर्ण होता है। दूसरा पहलू समूह उपचार विधि है। पुनर्वास उपचार का एक महत्वपूर्ण अंग है। परिवार के सदस्य यह भी ध्यान रखें कि मरीज डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाई पूरी मात्रा में ले रहा है। छोटे-छोटे कार्य की प्रशंसा समय-समय करना भी महत्वपूर्ण है। परिवारजनों को धैर्य रखे और रोगी की उपेक्षा न करें। डॉ. अशोक सीरवी ने बताया कि स्क्रिजोफ्रेनिया रोग में स्वास्थ्य लाभ धीमी गति से हो सकता है और यह आवश्यक होता है कि परिवार के सदस्य रोगी से व्यवहार के समय अत्यन्त धैर्य का परिचय दें। उन्होंने कहा कि आज चिकित्सा विज्ञान तेजी से उन्नति कर रहा है। अत: आम जन को चाहिए कि वह झूठे अंधविश्वास, जादू-टोने, झाड़-फूंक से बच कर उचित चिकित्सा करानी चाहिए।