
जोधपुर। शहर में आज धर्म कर्म का विशेष दिन रहा। गुरुवार को वट सावित्री अमावस्या एवं शनि जयंती मनाई गई। इस दौरान जहां सुहागिन महिलाओं ने अखंड सौभाग्य की कामना के लिए वट का पूजन कर वट सावित्री का व्रत रखा वहीं शहर के शनि मंदिरों में तेलाभिषेक समेत कई विशेष आयोजन भी हुए। शनि भगवान की कृपा पाने के लिए भक्तों ने विशेष पूजा-आराधना की।
शनि देव की जयंती आज श्रद्धापूर्वक मनाई गई। वैदिक शास्त्रों एवं हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनिदेव का जन्म हुआ था। इस कारण शहर के सभी शनि मंदिरों में विशेष धार्मिक आयोजन हुए। शास्त्रीनगर सेक्टर ए स्थित दक्षिणमुखी शिंगणापुर सिद्ध शनि पीठ धाम के महंत हेमंत बोहरा ने बताया कि शनि जयंती महोत्सव धूमधाम से विभिन्न कार्यक्रमों के साथ मनाया गया। शनि धाम में 11 हजार लीटर तेल से शनि महामस्तकाभिषेक किया गया। साथ ही 1100 गोटों की महाआरती हुई। इसके साथ ही 23 हजार शनि मंत्रों का जाप किया जाएगा। इससे पहले सुबह प्रभातफेरी, मंगला आरती, शनि महामंत्रों का जाप, शनि सहस्र नाम पाठ, शनि जन्म महाआरती व शनि महातेलाभिषेक महामस्तकाभिषेक किया गया। इस अवसर पर शनि रक्षा कवचों और अभिमंत्रित मुद्रिकाओं का नि:शुल्क वितरण भी किया गया।
वहीं प्रतापनगर स्थित श्री हनुमान शनिधाम के पुजारी गोपाल महाराज ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रतापनगर स्थित हनुमान शनिधाम में शनि जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। सुबह सर्व बाधा निवारण हवन पंडित दामोदर भारद्वाज के सानिध्य में किया गया। इसके बाद 251 किलो मालपुआ का भोग लगाकर भक्तों में प्रसादी वितरित की गई। इसी के साथ राजेश गुप्ता एंड पार्टी द्वारा भजन कीर्तन किया गया। मंदिर आने वाले भक्तों के लिए तेल अभिषेक की विशेष व्यवस्था मंदिर की तरफ से की गई। आने वाले सभी भक्तों को 23 हजार मंत्रों से अभिमंत्रित शनि अंगूठी निशुल्क दी गई। इसी तरह शनिचरजी का थान, जूनाखेड़ापति बालाजी मंदिर, पांचवी रोड स्थित शनिधाम आदि मंदिरों में भी दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। यहां शनि भक्तों ने शनि देव की प्रतिमाओं पर तेलाभिषेक किया।
सुहागिनों ने की पीपल की पूजा
शनिश्चरी अमावस्या पर सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री व्रत रखा। उन्होंने अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा और पीपल के पेड़ की परिक्रमा की। मान्यता है कि आज के दिन विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। महिलाओं ने जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर परिक्रमा की और पति के लंबे उम्र की कामना की। व्रत में सत्यवान और सावित्री की कथा का श्रवण किया। वटवृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, बीच में जनार्दन विष्णु और अग्रभाग में देवाधिदेव शिव स्थित रहते हैं। वट एक ऐसा वृक्ष है जिसकी आयु अधिक होती है और पीपल की आयु भी अधिक होती है।