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Sunday, April 20, 2025

मानवता और सज्जनता एक-दूसरे के पूरक  बिना मानवता के सज्जनता अधूरी- साध्वी कारुण्य लता श्रीरविवार को सामूहिक सामायिक आराधना तथा संयोजना रहित एकासणा तप

सज्जन व्यक्ति सबका प्रिय होता है. परमात्मा भी सज्जनों के निकट रहते हैं अर्थात प्रभु के प्रिय होने के लिए सज्जन होना जरूरी है. मानवता और सज्जनता एक-दूसरे के पूरक हैं. बिना मानवता के सज्जनता अधूरी है और सज्जनता के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं. वर्तमान में स्वार्थ के कारणों से लोग एक-दूसरे के निकट आने का प्रयास करते हैं.यह सज्जनता नहीं है. हम कष्ट सहकर दूसरों को सुख पहुंचाएं यह सज्जनता है. साध्वी कारुण्य लता श्री ने  खेरादियो का बास स्थित श्री राजेन्द्र सूरि जैन ज्ञान मंदिर त्रिस्तुतिक पौषधशाला में धर्म सभा में य़ह बात कही.
साध्वी श्री ने बताया कि आदर्शो के बिना मानवता का कोई अर्थ नहीं. मनुष्य शरीर पाना तो आसान है, किंतु मानव बनना कठिन है.मानव हृदय में प्रभु सदैव विद्यमान रहते हैं, किंतु फिर भी वह उन्हें नजरअंदाज करता है. इसी कारण वह कष्ट पाता है. इस सृष्टि में मानव ही ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना है. हमें संकीर्णता से ऊपर उठकर उदारता, सद्भाव, सहनशीलता, ममता, दया, करुणा जैसे मानवीय अलंकरणों को अंगीकार करना होगा.

संघ अध्यक्ष पारस पोरवाल ने बताया कि प्रत्येक रविवार को होने वाले आराधना व तप के कार्यक्रम में आगामी रविवार को सामूहिक सामायिक आराधना तथा संयोजना रहित एकासणा के तप का कार्यक्रम होगा. तप समिति सदस्य सुरेश लूँकड़ ने बताया कि संघ सदस्यों की उपवास, आयम्बिल एवं एकासना की तपश्चर्या निरंतर चल रही हैं. संघ प्रभावना का लाभ पुष्पा भंडारी एवं मंगल आरती का लाभ हितेष-सुरेश मुथा परिवार ने लिया.

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